जानिए कौन था बभ्रुवाहन और क्या था उसका अर्जुन से संबंध
अर्जुन ने भगवान श्रीकृष्ण की बहन सुभद्रा के अलावा दो और विवाह किए थे। इस बात का विस्तार से उल्लेख महाभारत में मिलता है। अर्जुन ने दूसरा विवाह मणिपुर की राजकुमारी चित्रांगदा जिसका पुत्र बभ्रुवाहन और तीसरा विवाह उलूपी से किया था जिसका पुत्र अरावन था।
बभ्रुवाहन अपने नानाश्री की मृत्यु के बाद भारत के पूर्वोत्तर राज्य मणिपुर का राजा बनाया गया। महाभारत में वर्णित है कि जब युधिष्ठिर अश्वमेघ यज्ञ करवाया तो यज्ञ के घोड़े को बभ्रुवाहन ने पकड़ लिया था। घोड़े की रक्षा के लिए अर्जुन मौजूद थे तब बभ्रुवाहन का अपने ही पिता से युद्ध किया था।युद्ध में बभ्रुवाहन जीत गए लेकिन अर्जुन मूर्छित हो गए। तब माता के कहने पर बभ्रुवाहन ने मृतसंजीवक मणि द्वारा अर्जुन को चैतन्य किया था। उन्होंने अश्वमेघ का घोड़ा अर्जुन को लौटा दिया। और अपनी मातओं चित्रांगदा और उलूपी के साथ युधिष्ठिर के अश्वमेघ यज्ञ में शामिल हुए थे।
लेकिन प्रश्न यह उठता है कि बभ्रुवाहन अपने पिता के खिलाफ युद्ध करने के कैसे तैयार हुआ? इसका उत्तर भी हमें महाभारत में मिलता है। दरअसल पुत्र को पिता के खिलाफ उकसाने का कार्य बभ्रुवाहन की सौतली मां उलूपी ने किया था। वह नहीं चाहती थी कि पिता-पुत्र कुशलक्षेमपूछते हुए एक दूसरे के गले लगें।