जानिए क्या होता है हिंदू धर्म में 108 नंबर का महत्व
नई दिल्ली: रूद्राक्ष की माला हो या फिर मंत्रों का जाप, दोनों में एक चीज बेहद सामान्य है और वह है 108 का अंक। 108 एक ऐसा अंक है जो हिन्दू धर्म में अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान रखता है। ईश्वर का नाम भी तभी संपूर्ण होता है जब वह 108 बार बोला गया हो। हिंदू धर्म में 3 के अंक को बिल्कुल भी शुभ नहीं मानते लेकिन वहीं इसके उलट 108 के अंक को बेहद शुभ मानते हैं।
108 के अंक को ना सिर्फ हिंदू धर्म में ही बल्कि अन्य धर्मों जैसे, बौद्ध और जैन धर्मों में भी खास जगह दी गई है। तिब्बत के बौद्ध धर्म में भी मालाओं में 108 मनके ही होते हैं। जैन धर्म के धर्मगुरु या अनुयायी अपनी कलाई पर जो जापमाला बांधते हैं उनकी कुल संख्या 108 ही होती है।
क्या आपने कभी सोंचा है कि आखिर हिंदू धर्म में 108 के अंक को इतनी ज्यादा महत्ता क्यूं दी गई है? चलिए जानते हैं इसके पीछे छुए हुए रहस्य को…
क्या होता है हिंदू धर्म में 108 नंबर का महत्व
शिव का अंक 108
इसे शिव का अंक भी माना गया है। ऐसा इसलिये क्योंकि मुख्य शिवांगों की संख्या 108 होती है। इसलिये लिंगायत संप्रदायक में रुद्राक्ष की माला में कुल 108 मनके होते हैं जिनका जाप किया जाता है।
गोपियों की संख्या थी 108
गौड़ीय वैष्णव धर्म के तहत वृंदावन में भी कुल 108 गोपियां थीं। अगर 108 मनकों गोपियों के नाम का जाप किया जाए तो यह बहुत ही शुभ, फलदायी और पवित्र माना जाता है। वहीं श्रीवैष्णव धर्म के तहत भी विष्णु के 108 दिव्य क्षेत्रों को बताया गया है, जिसे 108 दिव्यदेशम कहते हैं।
मंदिरों की सीढ़ियां भी 108
लंकावत्र सूत्र में यह पता चलता है कि बोधिसत्व महामती, बुद्ध से 108 सवाल पूछते हैं। इसी में बौद्ध ने 08 निषेधों को भी बताया है। यही नहीं आपको बहुत से बौद्ध धर्म के मंदिरों में 108 सीढ़ियां भी चढ़ने को मिल जाएंगी।
मन भी भावनाएं भी 108
बौद्ध धर्म के अनुसार कहा गया है कि व्यक्ति के मन में कुल 108 प्रकार की भावनाएं पैदा होती हैं। यह संख्या, सूंघने, सुनने, कहने, खाने, प्यार, नफरत, दर्द, खुशी आदि को मिलाकर बनाई गई है।
ज्योतिष में 108 का महत्व
ज्योतिष के अनुसार कुल 12 राशियां होती हैं जिनमें 9 ग्रह विचरण करते हैं। यदि आप इन दोनों संख्याओं को गुणा करेंगे तो आपको 108 अंक मिलेगा जो कि 108 के महत्व को बताते हैं।