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जानिए क्यूं, इस पिता को सलाम कर रहा है पूरा हिंदुस्तान

आंखों के सामने जवान बेटे की लाश पड़ी हो और कोई बाप उसे अपना बेटा कहने से भी मना कर दे. क्या ऐसा भी कभी होता है? ये कहानी एक ऐसे ही बाप की जिसने ना सिर्फ़ ऐसा कहा, बल्कि बेटे की लाश को हाथ तक लगाने से इनकार कर दिया. यकीनन जीते-जी इस बेटे ने अपनी बाप को ऐसी चोट पहुंचाई थी कि मौत के बाद भी काठ पड़ चुके कलेजे से मुहब्बत नहीं फूटी. आंखों से दो बूंद आंसू तक नहीं छलके. लेकिन आज इस बाप को पूरा हिंदुस्तान सलाम कर रहा है. जानते हैं क्यों? क्योंकि वो एक गद्दार आतंकी का देशभक्त बाप है|

सरताज पर नाज

सरताज अहमद को आज पूरा देश सलाम कर रहा है. क्योंकि उन्होंने एक ऐसा फैसला किया, जिसने सबको हैरान भी किया और चौंकाया भी. दरअसल, सरताज अहमद उसी आतंकी सैफ़ुल्लाह के पिता हैं, जिसे यूपी एटीएस ने लखनऊ में एनकाउंटर के दौरान मार गिराया था. आप उनके चेहरे को देखकर अंदाज़ा भी नहीं लगा सकते कि उन्होंने अपना जवान बेटा खो दिया है. सरताज कहते हैं कि किसे अपनी औलाद से मुहब्बत नहीं होती. उन्हें एक बाप होने के नाते अपने बेटे से मुहब्बत थी. लेकिन ढाई तीन महीने के दौरान किसने उसका ब्रेनवॉश कर दिया, उन्हें भी समझ में नहीं आया. उनका कहना है कि जो देश हित में काम ना करे, ऐसे बेटे को हम बेटा नहीं कह सकते. आतंकी का कोई धर्म नहीं होता, चाहे वो हिंदू हो या मुसलमान|

परिवार ने भी की थी समझाने की कोशिश

मंगलवार को लखनऊ के ठाकुरगंज में जो कुछ हुआ उसे पूरी दुनिया ने देखा. दुनिया ने देखा कि किस तरह ग्यारह घंटे तक दोनों तरफ़ से रह-रह कर हुई गोलीबारी के बाद आतंकवादी सैफ़ुल्लाह को यूपी एटीएस ने मार गिराया. और दुनिया ने ये भी देखा कि किस तरह मौत की उस आख़िरी गोली से पहले सैफुल्लाह के घरवालों के ज़रिए उससे हथियार डलवाने की एक आख़िरी कोशिश की गई थी|

बेटे की लाश लेने से किया इनकार

लेकिन घटना के दूसरे दिन सैफ़ुल्लाह के पिता सरताज अहमद ने जो स्टैंड लिया, वैसा आम तौर पर देखने को नहीं मिलता. जी हां, सैफ़ुल्लाह के पिता ने ना सिर्फ़ अपने मरे हुए बेटे का मुंह तक देखने से इनकार कर दिया, बल्कि ये भी कह दिया कि उन्हें और उनके परिवार को अब अपने बेटे की लाश तक की ज़रूरत नहीं है. क्योंकि बेटे ने मुल्क से गद्दारी की है. बेटे ने देश के खिलाफ़ काम किया है. शायद यही वजह है कि कानपुर के इस परिवार का दर्जा एक आतंकवादी से ताल्लुक रखने के बावजूद सबकी निगाहों में बहुत ऊपर हो गया है. कुछ इतना ऊपर कि देश के तमाम आम लोगों और सियासतदानों से होता हुआ, ख़ुद देश के गृहमंत्री तक इस परिवार और इस बाप को सलाम कर रहे हैं. इनसे सहानुभूति जता रहे हैं|

भटके हुए बेटों का साथ देने वालों को हिदायत

ये कहानी है आतंक की अंधी दुनिया में भटकते नौजवानों की, उनके हश्र की और इस हश्र के बाद नज़ीर पेश करने वाले एक पिता की है. वाकई आतंकी सैफ़ुल्लाह के देशभक्त पिता सरताज पर आज हिंदुस्तान को नाज़ है. वो कहते हैं कि उन्हें फ़ख्र है, जो फैसला उन्होंने लिया, वो बिल्कुल सही है. शायद सरताज अहमद जैसे लोग ही हैं, जिनकी बदौलत तमाम नापाक निगाहों के बावजूद हिंदुस्तान कायम है. हिंदुस्तान की गंगा-जमनी तहज़ीब कायम है. वो कहते हैं कि अगर कोई सही तरीक़े से इस्लाम धर्म को समझ ले, तो वो भी ऐसी ही बातें करेगा. उन्होंने कहा कि जो लोग अपने भटके हुए बेटों का साथ दे रहे हैं, वो अब भी संभल जाएं|

घर छोड़कर चला गया था सैफुल्लाह

करीब ढाई महीने पहले सरताज से उनके बेटे सैफुल्ला की काफी अनबन हो गई थी. घरवालों ने सैफुल्लाह को एकाउंटिंग का काम भी सिखाया था. लेकिन उसका ध्यान काम पर नहीं था. जिसकी वजह से एक रोज सरताज ने ना सिर्फ़ अपने बेटे को फटकारा बल्कि दो चार चांटे लगाए. इसके बाद सैफुल्ला उनके पीछे गुस्से में अपना घर छोड़ कर चला गया. तब सरताज ने भी अपने बेटों के साथ मिलकर आइंदा सैफुल्ला को घर में ना घुसने देने का फ़ैसला किया था. लेकिन घर से भागने वाला सैफुल्ला एक रोज़ अपनी इस नई पहचान के साथ सबके सामने नमूदार होगा, ये उन्होंने कभी ख्वाबों में भी नहीं सोचा था|

मंगलवार
सुबह 9.30 बजे
शाजापुर, मध्य प्रदेश

मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल से 114 किलोमीटर दूर शाजापुर के नज़दीक अचानक भोपाल-उज्जैन पैसेंजर ट्रेन की एक जनरल बोगी में रहस्यमयी धमाका होता है. पहले धमाके को मोबाइल फटना बताया जाता है. लेकिन चंद घंटे गुज़रते-गुज़रते मौका-ए-वारदात के हालात ये इशारा करने लगते हैं कि ये कोई हादसा नहीं बल्कि साज़िश का धमाका है. इसके पीछे है आतंकी साज़िश|

दोपहर 2.30 बजे
पिपरिया, मध्य प्रदेश

भोपाल उज्जैन पैसेंजर ट्रेन में हुए धमाके का राज़ अब काफ़ी हद खुल चुका था. ये बात साफ़ हो चुकी थी कि हमले के पीछे आतंकी साज़िश है. लेकिन हमले को पांच घंटे गुज़रते-गुज़रते मध्य प्रदेश के ही पिपरिया में पुलिस के हाथ उन तीन लोगों तक भी जा पहुंचे, जिन पर ट्रेन में बम रखने का इल्ज़ाम है. जी हां, पाइप बम रखने का. इनके नाम हैं मोहम्मद दानिश उर्फ ज़फर, सैयद मीर हुसैन उर्फ़ हमज़ा और मोहम्मद फ़ैसल ख़ान. पता चला कि तीनों यूपी के ही रहने वाले हैं. और तीनों एक रात पहले ही लखनऊ से ट्रेन के रास्ते भोपाल पहुंचे थे|

दोपहर 3.30 बजे
ठाकुरगंज, लखनऊ

उधर पिपरिया में तीन लोगों की गिरफ्तारी होती है, इधर यूपी की राजधानी लखनऊ से एक चौंकाने वाली ख़बर आती है. ख़बर ठाकुरगंज के एक मकान में एक आतंकी के छुपे होने की थी. फिर तो देखते ही देखते यूपी एटीएस इस मकान की घेरेबंदी करती है. और पूरे ग्यारह घंटे तक चले ज़ोरदार एनकाउंटर में पुलिस इस मकान में छुपे आतंकी सैफुल्ला को मार गिराती है. उधर, यूपी में ही एक अलग कार्रवाई में एटीएस कानपुर से आतंकियों के इस मॉड्यूल से जुड़े दो और संदिग्ध आतंकियों फ़ैसल ख़ान और मोहम्मद इमरान को गिरफ्तार करती है, जबकि इटावा से फकरे आलम उर्फ़ ऋषु पकड़ा जाता है. लेकिन आतंक का ये नया मॉड्यूल अभी ध्वस्त नहीं हुआ है. क्योंकि अभी इस मॉड्यूल के मास्टरमाइंड समेत इस मॉड्यूल से जुड़े दो अहम चेहरे अब भी पुलिस की ज़द से बाहर थे|

गुरुवार
दोपहर 3.15 बजे
लखनऊ, उत्तर प्रदेश

इसके बाद पूरे दो दिन का वक़्त गुज़र जाता है और फिर वो ख़बर सामने आती है, जिसका इंतज़ार शायद हर किसी को था. ख़बर थी इस मॉड्यूल के मास्टरमाइंड समेत इसके दोनों आतंकियों के पकड़े जाने की. यूपी एटीएस ने साफ किया कि उन्होंने कानपुर के रहने वाले आतंक के इस ताज़े मॉड्यूल के मास्टरमाइंड गौस मोहम्मद ख़ान और उसके साथी अज़हर को गिरफ्तार करने में कामयाबी हासिल कर ली है. जी हां, उस ग़ौस को जिसने इन तमाम नौजवानों को दहशत की अंधी गली में झोंका और जो मंगलवार को एनकाउंटर वाली जगह से ऐन मौके पर भाग निकला|

देश के लिए लड़ने वाला खुद बन गया दुश्मन

देश के लिए दुश्मनों से लोहा लेते-लेते वो कब देश का दुश्मन बन बैठा, ये खुद उसके घरवालों को भी पता नहीं चला. यूपी पुलिस के हत्थे चढ़ा खुरासान मॉड्यूल का मास्टरमाइंड दरअसल एक ऐसा फ़ौजी है, जिसने सोलह सालों तक एयरफोर्स में काम किया| लेकिन फिर अचानक ही उसने अपनी दुनिया अलग कर ली| वो घरवालों से अलग रहने लगा. और उसी ने हिंदुस्तान में खुरासान मॉड्यूल की नींव रखी| मंगलवार को लखनऊ में सैफुल्लाह के एकाउंटर से ऐन पहले तक वो एनकाउंटरवाली जगह यानी उसी मकान में मौजूद था|

आतंक के दो नए चेहरे

गौस मोहम्मद ख़ान और अज़हर वो दो चेहरे हैं, जिन तक पहुंचने के लिए यूपी एटीएस के साथ-साथ पूरे देश की तमाम खुफ़िया और सुरक्षा एजेंसियों ने पूरी ताकत झोंक रखी थी. उत्तर प्रदेश पुलिस को बेशक अब तक आतंक के इस नए मॉड्यूल के सीधे आईएसआईएस जुड़े होने के कोई सुबूत ना मिले हों, लेकिन खुरासान मॉड्यूल के नाम पर बदनाम आतंक की इस नई मंडली में इन दो चेहरों का अपना अलग मुकाम था| पुलिस की मानें तो कानपुर का रहनेवाला पूर्व एयरमैन यानी एयरफोर्स कर्मी ग़ौस मोहम्मद ख़ान की वो शख्स है, जिसने हिंदुस्तान में आतंक के इस नए मॉड्यूल की शुरुआत और एक के बाद एक यूपी के कई नौजवानों को बरगलाया. ग़ौस के घरवालों की मानें तो वो क़रीब दो सालों से अपने घर कानपुर से दूर लखनऊ में ही किसी खुफिया ठिकाने पर रहता था| पुलिस से बचने के लिए वह अपना नाम करन खत्री बताया करता था|

खुरासान मॉड्यूल बेनकाब

दूसरा संदिग्ध अज़हर इस मॉड्यूल में विस्फोटकों और हथियारों की सप्लाई के साथ-साथ आतंकियों के लिए रहने ठहरने का इंतज़ाम करता था| मध्य प्रदेश में हुए पहले धमाके के फ़ौरन बाद आतंक के इस मॉड्यूल से जुड़े तकरीबन सारे आतंकी बेशक अब पकड़े जा चुके हों| और इस खुरासान मॉड्यूल का पर्दाफाश हो चुका हो, लेकिन इन संदिग्धों से बरामद चीज़ें और पूछताछ में सामने आए इरादे ही रौंगटे खड़े करने के लिए काफ़ी हैं|

हिंदुस्तान को दहलाने की थी साजिश

पुलिस की मानें तो इन आतंकियों ने न सिर्फ़ हिंदुस्तान के अलग-अलग शहरों और ख़ास कर यूपी को दहलाने की ख़ौफ़नाक साज़िश बना रखी थी, बल्कि हर किसी के हिस्से उसका काम बंटा हुआ था| कानपुर से गिरफ्तार किए गए मोहम्मद फ़ैसल के पास से प्रेशर कुकर और मोबाइल बम बनाने के वीडियो मिले हैं| सैफुल्ला के ठिकाने से जो हथियार, नक्शे, झंडे और दूसरी चीज़ें बरामद हुई हैं| वो भी अपने-आप में इस खुरासान मॉड्यूल की असलियत बयान करते हैं|

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