गर्म और रुक्ष। जिन्हें इसकी प्रकृति के कारण हानि हो, वे इसकी दाल को घी में छौंककर खाएं, फिर किसी प्रकार की हानि नहीं होगी।
पसीना- अरहर की दाल, नमक और सोंठ मिलाकर छौंक कर मालिश करने से पसीना आना बंद हो जाता है। हड़फूटन मिटती है। सर्दी, कंपकंपी लगना ठीक हो जाती है।
गैस- अरहर पेट में गैस पैदा करती है।
मुंह में छाले- इसकी दाल छिलकों सहित पानी में भिगोकर उस पानी से कुल्ले करने पर छाले ठीक हो जाते हैं। यह गर्मी का प्रभाव दूर करती है।
भांग का नशा- 31 ग्राम अरहर की दाल को पानी में उबालकर या पानी में भिगोकर उसका पानी पिलाने से भांग का नशा उतर जाता है।
खुजली- अरहर की दाल को दही के साथ पीसकर लगाने से खुजली में लाभ होता है।
फोड़ा- यदि फोड़े को पकाना अनिवार्य हो तो पानी में अरहर की दाल पीसकर नमक मिलाकर गर्म करके फोड़े पर बांधने फोड़ृा जल्दी पककर फूट जाता है।
नकसीर- अरहर की दाल के तीन दाने एक चम्मच पानी में भिगो दें। दो घंटे बाद इन्हें पीसकर पानी में घोलकर नाक में टपका दें। नकसीर बंद हो जाएगी।