राजीव ने तभी रेस्टोरेंट में ही एक पेपर नैपकिन पर सोनिया के लिए एक कविता लिखी और उसे वहां की सबसे महंगी वाइन की बॉटल के साथ सोनिया को भेज दिया। बस यहीं से राजीव गांधी और सोनिया के प्यार की शुरुआत हुई। सिमी ग्रेवाल को दिए एक इंटरव्यू में राजीव ने कहा भी था, ‘सोनिया को पहली बार देखकर ही मैं समझ गया था कि यही वो लड़की है जो मेरे लिए बनी है। वो बहुत स्ट्रेट फॉरवर्ड और आउटस्पोकन है। वह कभी कुछ नहीं छुपाती। वो काफी मिलनसार है।’
पहली नजर में सोनिया को भी राजीव पसंद आ गए। हालांकि सोनिया को उस वक्त यह नहीं मालूम था कि राजीव भारत के सबसे बडे़ राजनीतिक गांधी परिवार से नाता रखते हैं। सोनिया एक साधारण परिवार से थीं। कैंब्रिज में पढ़ाई के साथ वह रेस्टोरेंट में पार्ट टाइम काम भी करती थीं। राजीव गांधी से मिलने के बाद सोनिया उन्हें अपना दिल दे बैठीं। राजीव के प्यार ने उन्हें इतना दीवाना बना दिया था कि उन्होंने खत लिखकर राजीव के बारे में अपने परिवारवालों को बताया। उन्होंने अपने खत में लिखा, ‘मैं एक भारतीय लड़के से प्यार करती हूं। वह एक खिलाड़ी है। नीली आंखों वाले ऐसे ही राजकुमार का मैं हमेशा से सपना देखती थी।’
दोनों के प्यार के बारे में जब सोनिया के पिता को मालूम हुआ तो उन्हें खुशी नहीं हुई। उनके मन में दूर देश में बेटी के रिश्ते को लेकर और भारत के राजनीतिक हालात को लेकर डर था। राजीव गांधी खुद सोनिया के घर उनके पिता से उनका हाथ मांगने चले गए। इसके बाद सोनिया के पिता ने शर्त रखी कि वह शादी के लिए तभी राजी होंगे,जब दोनों एक साल तक किसी से नहीं मिलेंगे और इसके बाद भी अगर दोनों को लगेगा कि वह एक-दूजे के बिना नहीं रह सकते तो वह शादी की अनुमति दे देंगे।
राजीव और सोनिया के लिए एक साल तक एक-दूसरे से मिले बिना रहना आसान नहीं था, लेकिन दोनों ने बड़ी मुश्किल से एक साल का वक्त काटा। इस दौरान दोनों का प्यार और गहरा हो गया। इसके बाद सोनिया के पिता के पास दोनों के रिश्ते को स्वीकार करने के अलावा कोई चारा नहीं था।
राजीव गांधी अक्सर अपनी मां इंदिरा गांधी को पत्र लिखकर सोनिया के बारे में बताया करते थे। एक दिन इंदिरा गांधी ने उनसे कहा कि वह जवाहर लाल नेहरू से जुड़ी प्रदर्शनी के लिए लंदन आ रही हैं। इस दौरान वह सोनिया से मिलना चाहती हैं। इंदिरा और सोनिया की मुलाकात हुई। उन्होंने सोनिया से उनके बारे में और पढ़ाई के बारे में बातें की। इसके बाद इंदिरा ने उनसे कहा कि वह बिल्कुल भी डरें नहीं, क्योंकि वह खुद अपनी युवावस्था में प्रेम कर चुकीं हैं।
सोनिया गांधी पहली बार भारत 1968 में आईं थी। चूंकि उस समय इंदिरा गांधी भारत की प्रधानमंत्री थीं, तो शादी से पहले सोनिया को अपने घर में रखना विरोधियों को मौका देने के समान था। इसलिए सोनिया गांधी के रहने का इतंजाम अमिताभ बच्चन के घर में किया गया था।