जानिए सेक्स की लत से लड़ते इस शख्स की कहानी

एक ऐसे शख्स की कहानी जो सेक्स की लत से भयानक तरीके से पीड़ित है। वह इस कदर बेकाबू है कि कहानी पढ़ते हुए आप ख़ुद हैरान रह जाएंगे। पढ़ें, उसी शख्स की ज़ुबानी यह कहानी- मैं 10 साल की उम्र से ही कई बुरी लतों से पीड़ित था। अगर आप ड्रग की लत से पीड़ित हैं तो आपका जीवन बुरी तरह से प्रभावित होता है।यहां सेक्स सबसे जटिल होता है। आप इसे बिना किसी बाहरी डर के सालों कर सकते हैं। लोग कहते हैं कि लत एक बीमारी है, लेकिन मेरा मानना है कि यह भावनात्मक सदमे का एक लक्षण है।
जब मैं तीन साल का था तो मेरे माता-पिता के बीच तलाक हो चुका था। मैं अपनी मां के साथ रहता था और उन्हें एहसास हुआ कि मैं आत्मकामी और भावनात्मक रूप से सताने वाला शख्स हूं। उन्हें मुझसे और मेरे भाई से बहुत ज्यादा उम्मीदें थीं। हमलोग कभी पर्याप्त रूप से अच्छे नहीं हुए। हमलोगों ने जो कुछ भी किया उसमें कुछ न कुछ गलत जरूर हुआ। इसका कोई मतलब नहीं था कि हमने कितनी मेहनत की।
मैं चीनी से काफी आसक्त था और कुकीज बहुत ज्यादा खाता था। भावनाओं को सुन्न करने का एक तरीका था। अपनी जिंदगी से निपटने के लिए पलायनवाद का सहारा लेता था। 12 साल की उम्र में मुझे पता चला कि मैं गे हूं। मैं एक छोटे गांव में पला-बढ़ा था। मेरी कामुकता सामान्य नहीं थी।मैंने 11 साल की उम्र से हस्तमैथुन शुरू कर दिया था। 14 साल की उम्र में मुझे पहला कंप्यूटर मिला और मैंने हर दिन जमकर पॉर्न देखना शुरू कर दिया। मेरी मां तड़के 4.30 बजे सुबह काम पर निकल जाती थीं।
मां के घर छोड़ने के बाद मैं और भाई जागते थे। मेरा भाई प्ले स्टेशन पर खेलना चाहता था और मैं कंप्यूटर पर पॉर्न देखना चाहता था। सुबह सात बजे मैं हमेशा स्कूल बस के वक्त पर तैयार रहता था, हर दिन इसमें कटौती होती गई। जितना ज़्यादा संभव हो सके मैं हस्तमैथुन करने की कोशिश करता। मैं बिल्कुल किनारे पर था।
बचपन में मैं हफ्ते में दो दिन तैराकी की ट्रेनिंग लेता था। कुछ दूरी तक तैरना होता था और उसके बाद 20 मिनट तक चेंजिंग रूम में हस्तमैथुन करता था। वीकेंड में पूरा दिन अपने कमरे में बिताता था और काम करने का दावा करता था। सच यह था कि मैं दिन भर पॉर्न देखता था।
बचपन में आप ख़ुद के लिए निजी जगह की तलाश करते हैं। यदि मैं अपनी मां से कुछ भी छुपाने की कोशिश करता तो अजीब तरह से बहस शुरू हो जाती थी।मेरा मानना है कि मां की नाक के नीचे पॉर्न देखने से मुझे ख़ुद को काबू में रखने की सीख मिली।जब मैं 18 साल का था तब मुझे एक जंगल में पहला यौन अनुभव ओरल सेक्स के रूप में हुआ। मैंने ऑनलाइन पुरुषों से चैट करना शुरू किया। मेरे लिए असली जिंदगी में लोगों से मिलने का कोई मौका नहीं था। वह 34 साल का था और खासकर आकर्षक नहीं था, लेकिन मेरा मानना था कि वह शुरू करने के लिहाज से अच्छा था।
जब इंजीनियरिंग स्कूल में मैं 21 साल का हुआ तो एक और गे से ऑनलाइन मुलाकात हुई। वह पहले मुझे भाप से स्नान कराने के लिए ले गया और यह मेरे लिए रहस्य खुलने की तरह था। अचानक मैं उस जगह पर पहुंच चुका था जहां सभी गे सेक्स कर रहे थे। मुझे उस आजादी को देख बहुत अच्छा लगा।
मैंने महीने में तीन बार सौना (भाप स्नान का कमरा) जाना शुरू किया।मैं तब सुरक्षित सेक्स का पक्का समर्थक था, लेकिन एक साल बाद मैंने उस गे को देखना शुरू कर दिया था जो असुरक्षित सेक्स करना चाहता था। मैं उसके साथ हो लिया। मुझे उस पर भरोसा था।
कुछ महीने बाद मैंने हर रात सौना में गुजारना शुरू कर दिया। तब असुरक्षित सेक्स ही करता था। मुझे पता है कि यह अजीब लगता है, लेकिन लत में नयापन महत्वपूर्ण होता है। सेक्स के दौरान हम डोपामाइन का इस्तेमाल करते थे।
मैंने दो बार उन लोगों के साथ असुरक्षित सेक्स किया जिनके बारे में पता था कि वे एचआईवी पॉजीटिव हैं। मैं खतरों से पूरी तर वाकिफ था।मैं न्यूक्लियर इंजीनियर था और मुझे सब पता था। मैं कोई बेवकूफ नहीं था, लेकिन जब आप ये सब शुरू करते हैं तो सब कुछ दिमाग से बाहर हो जाता है।
जब तनाव में रहता या परेशान होता तो मैं अपने भीतर अपनी मां की वह आवाज सुनता था कि मैं अच्छा नहीं हूं। एचआईवी पॉजिटिव लोग एक समुदाय के रूप में जुड़े होते हैं।यदि आप सोचते हैं कि आप उन्हीं में से एक हैं तो वे आपका ख़्याल रखना शुरू कर देते हैं और आप फिर उस ग्रुप में शामिल हो जाते हैं।
मैं जानता हूं कि यह मूर्खतापूर्ण लगता है। यदि आप किसी के शरीर में एचआईवी जान-बूझकर पहुंचाते हैं तो यह अपराध है। मैंने ऐसा कभी नहीं किया क्योंकि मैं अब भी नेगेटिव हूं। लेकिन मैं इसके बारे में सोचता हूं। इसे स्वीकार करना काफी कठिन है। दूसरों के नुकसान पहुंचाने के बारे में इसलिए सोचता हूं क्योंकि मैं अपनी भावनाओं से निपटने में असमर्थ हूं।