राष्ट्रीय
जानिए GB रोड का इतिहास और ‘बदनाम गली’ के हालात
दिल्ली महिला आयोग ने असली मालिकों का पता लगाने के लिए जीबी रोड की कोठा संचालिकाओं को 125 समन भेज 21 से 25 सितंबर तक पेश होने को कहा है. जीबी रोड में सेक्स वर्कर्स के अधिकारों के लिए पहले भी कई कदम उठाए गए हैं, लेकिन फिर भी उन्हें कई दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. इसी बीच जानते हैं क्या है जीबी रोड का इतिहास और क्या है वहां के मौजूदा हालात…
जीबी रोड का नाम सुनते ही आपके दिमाग में सेक्स वर्कर्स, वेश्यालय आदि आते होंगे, लेकिन यहां इन सब के अलावा ऑटो मोबाइल और हार्डवेयर का मार्केट भी है. यहां दिन में हार्डवेयर की दुकाने खुलती हैं, लेकिन रात में शुरू होता है जिस्म का व्यापार.
पहले जीबी रोड का नाम गारस्टिन बास्टिन रोड हुआ करता था, लेकिन साल 1965 में इस नाम को बदलकर स्वामी श्रद्धानंद मार्ग कर दिया गया है.
जीबी रोड के इस व्यापार का इतिहास काफी पुराना है. बताया जाता है कि मुगलकाल में इस क्षेत्र में कई रेडलाइट एरिया हुआ करते थे और अंग्रेजों के समय इन क्षेत्रों को एक साथ कर दिया गया. उसके बाद इस इलाके का नाम दिया गया जीबी रोड.
जीबी रोड पर करीब 25 इमारते हैं और इन इमारतों में 100 से अधिक वेश्यालय चलते हैं. बताया जाता है कि यहां 1000 से अधिक सेक्स वर्कर्स काम करने को मजबूर है.
कुछ साल पहले सामने आई एक रिपोर्ट के अनुसार करीब यहां हर महीने करीब 6 लाख कंडोम का इस्तेमाल होता है. इस मामले में महिला आयोग ने दिल्ली एड्स कंट्रोल सोसाइटी को खत लिखकर कंडोम सप्लाई के बारे में विस्तृत रिपोर्ट भी मांगी थी.
मौजूदा हालात के अनुसार जीबी रोड पर काम करने वाली सेक्स वर्कर्स की हालात दयनीय है और उन्हें यहां इन महिलाओं को अमानवीय तरीके से रखा जाता है.
कई बार जीबी रोड पर सेक्स व्यापार के लिए लड़कियों को गुलाम बनाए जाने की खबरें आती रही हैं और कई बार पुलिस ने कई लड़कियों को मुक्त भी करवाया है.