आज कल्कि जयंती है और पुराणों में बताया गया है कि जब कलयुग अपने चरम पर होगा तब भगवान विष्णु 10वां अवतार कल्कि के रूप में लेंगे। भगवान विष्णु ने अब तक नौ अवतार लिए हैं और ये अवतार त्रेतायुग, सतयुग और द्वापर युग में हुए थे। पुराणों में बताया गया है कि उनका जन्म शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को कलयुग में जन्म लेंगे। गीता में भी भगवान कृष्ण ने अर्जुन से कहा है कि जब-जब धर्म की हानि होगी मैं उसे बचाने आऊंगा। धर्म की रक्षा करना मेरा कर्तव्य है। धर्म को हानि पहुंचाने वाले दुष्टों का मैं नाश कर दूंगा।भगवान का यह अवतार निष्कलंक भगवान के नाम से पूरे विश्व में जाना जाएगा। श्रीमद्भागवत में भगवान विष्णु के अवतारों के बारे में सभी कथाएं विस्तार से बताइ गई हैं। गीता के बारहवें स्कंध के द्वितीय अध्याय में भगवान के कल्कि अवतार की कथा विस्तार से दी गई है। श्रीमद्भागवत कहा गया है कि सम्भल गांव में विष्णुयश नामक श्रेष्ठ ब्राह्मण के पुत्र के रूप में भगवान कल्कि का जन्म होगा। वह देवदत्त नाम के घोड़े पर आरूढ़ होकर अपनी कराल करवाल (तलवार) से दुष्टों का संहार करेंगे तभी सतयुग का प्रारम्भ होगा।
सम्भल ग्राम मुख्यस्य ब्राह्मणस्यमहात्मनः भवनेविष्णुयशसः कल्कि प्रादुर्भाविष्यति।।
भगवान श्री कल्कि निष्कलंक अवतार हैं। भगवान कल्कि के पिता भगवान विष्णु के भक्त होंगे, साथ में वह वेदों और पुराणों के ज्ञाता होंगे। उनके पिता का नाम विष्णुयश और माता का नाम सुमति होगा। उनके भाई जो उनसे बड़े होंगे उनके नाम सुमंत, प्राज्ञ और कवि नाम के नाम के होंगे। भगवान कल्किजी के याज्ञवलक्य जी पुरोहित और भगवान परशुराम उनके गुरू होंगे। उनकी दो पत्नियां होंगी। उनकी पहली पत्नी का नाम लक्ष्मी रूपी पद्मा और दूसरी पत्नी का नाम वैष्णवी शक्ति रूपी रमा होंगी। उनके पुत्र होंगे- जय, विजय, मेघमाल तथा बलाहक। पुराणों में बताया गया है कि कलियुग के अंत में भगवान यह अवतार धारण करेंगे और अधर्मियों का अंत करके फिर से धर्म का राज स्थापित करेंगे। अभी कलियुग का आधा समय ही बीता है इसलिए अभी इस अवतार के होने में काफी समय है।