जानें मौत दर मौत कैसे खूनी होता गया एनआरएचएम घोटाला
लखनऊ। राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन (एनआरएचएम) में कथित तौर पर हजार करोड़ रुपये के घोटाले में एक ओर सीबीआइ जांच और कोर्ट में सुनवाई जारी है तो दूसरी ओर मामले से जुड़े आरोपितों की मौत का सिलसिला थम नहीं रहा है। गोरखपुर में इस घोटाले से जुड़े आरोपित डॉ.पवन श्रीवास्तव के गोली मारकर आत्महत्या करने की घटना के बाद पूर्व में हुई घटनाएं फिर ताजा हो गईं।
एनआरएचएम घोटाला मामले में वर्ष 2011 में राजधानी में दो सीएमओ डॉ. विनोद आर्या व डॉ.वीपी सिंह की हत्याएं हुई थीं। इसके बाद डिप्टी सीएमओ डॉ.वाइएस सचान की जिला कारागार में संदिग्ध हालात में मौत हो गई थी। कारागार में डॉ.सचान का शव खून से लथपथ मिला था। करोड़ों के इस घोटाले की सीबीआइ जांच के दौरान पूर्व में भी कई आरोपित खुदकशी कर चुके हैं। इसी घोटाले से जुड़े ठेकेदार नमित टंडन आत्महत्या की कोशिश कर चुके हैं।
पूर्व में मामले में अभियुक्त परियोजना अधिकारी सुनील कुमार वर्मा ने लखनऊ के विकासनगर स्थित अपने घर पर गोली मारकर आत्महत्या की थी। वर्मा का नाम एनआरएचएम घोटाले के सिलसिले में दर्ज पहली प्राथमिकी में शामिल था, जिसमें परिवार कल्याण विभाग के तत्कालीन मंत्री बाबू सिंह कुशवाहा भी नामजद हैं। कई अन्य आरोपित भी आत्महत्या कर चुके हैं। एनआरएचएम घोटाले में आरोपित पूर्व विधायक रामप्रसाद जायसवाल की मृत्यु हो गई थी जबकि आरोपित डॉ.शैलेश यादव की दुर्घटना में मौत हो गई थी।
दूसरी ओर 15 फरवरी 2012 को लखीमपुर खीरी में स्वास्थ्य विभाग में लिपिक महेंद्र शर्मा का शव सीएचसी पसगवां में सरकारी आवास में पाया गया था। वह सात फरवरी से लापता थे और घरवालों ने उनकी गुमशुदगी दर्ज कराई थी। परिवारीजन ने गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज करायी थी। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में महेंद्र की मौत का कारण दम घुटना पाया गया था। जिसकेआधार पर महेंद्र की पत्नी मिथिलेश शर्मा ने पसगांवा थाने में 17 फरवरी 2012 को पति की हत्या का मुकदमा दर्ज कराया था। पुलिस ने अपनी शुरूआती जांच में यह जानकारी दी थी कि महेंद्र शर्मा अपने तबादले को लेकर परेशान थे। वहीं महेंद्र की पत्नी मिथिलेश ने एनआरएचएम घोटाले पर पर्दा डालने के लिए उनकी हत्या कराए जाने का आरोप लगाया था।