जानें स्मॉग बच्चों और गर्भवती महिलाओं और बुजुर्गों के लिए है कितना खतरनाक
नई दिल्ली। दिल्ली में स्मॉग चरम पर है। सरकार और अन्य एजेंसियां अपनी तरफ से कोशिश कर रही हैं, लेकिन अब भी स्मॉग को पूरी तरह से खत्म होने में अच्छा-खासा समय लग सकता है। इधर केंद्रीय मंत्री हर्ष वर्धन का कहना है कि ज्यादा चिंता करने की जरूरत नहीं है। स्वास्थ्य संबंधी सावधानियां बरतें और जितना हो सके घर के अंदर ही रहीं। बच्चों को भी प्रदूषित हवा में जाने से रोकें। स्मॉग के बारे में इतनी सारी खबरें पढ़ने के बाद आपके दिमाग में ऐसे भी सवाल आ रहे होंगे कि इससे कैसी-कैसी दिक्कतें हो सकती हैं। कई के बारे में आपने पढ़ा भी होगा। लेकिन जो खबर हम आपको बताने जा रहे हैं वह सच में डरावनी तस्वीर दिखाती है। पहले बात करते हैं सरकार के तात्कालिक उपायों की।
दिल्ली में फिर से शुरू होगा ऑड-ईवन
इधर दिल्ली सरकार ने 13 से 17 नवंबर तक दिल्ली में ऑड-ईवन नियम लगाने की बात कही है। इसके तहत दिल्ली में ऑड तारीख को ऑड नंबर की गाड़ियां और ईवन डेट को ईवन नंबर की गाड़ियों को ही सड़क पर आने की इजाजत होगी। हमारा शरीर अधिकतम 200 से 250 पर्टिकुलेट मैटर ही सह सकती है, लेकिन फिलहाल यह 1000 के आसपास है। ऐसे वातावरण में रहने से स्वास्थ्य संबंधी कई दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है।
स्मॉग के कारण होने वाली आम समस्याएं
इस संबंध में दैनिक जागरण ने दिल्ली मेडिकल एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ. विजय मल्होत्रा से बात की। डॉ. मल्होत्रा ने बताया कि स्मॉग से आमतौर पर सांस से जुड़ी की समस्याएं होती है। उन्होंने बताया कि अलग-अलग आयु वर्ग के लोगों में स्मॉग और वायु प्रदूषण का अलग-अलग तरह का असर पड़ता है।
बच्चों पर असर
डॉ. मल्होत्रा ने बताया कि स्मॉग की वजह से बच्चों में ब्रोंकाइटिस का अटैक हो सकता है। जिन बच्चों को पहले से ही ब्रोंकाइटिस या ब्रोंकल अस्थमा है वह बढ़ सकता है। इसकी वजह से बच्चों के फेफड़ों में कई तरह के वायरल और बैक्टीरियल इंफेक्शन भी हो सकते हैं।
गर्भवती महिलाओं पर असर
डॉ. मल्होत्रा ने दैनिक जागरण से बात करते हुए कहा, क्योंकि गर्भवती महिलाओं की इम्यूनिटी पहले से ही कुछ कम होती है, इसलिए स्मॉग की वजह से उन्हें और ज्यादा समस्याएं हो सकती हैं। उन्होंने कहा स्मॉग के कारण महिला और उसके होने वाले बच्चे पर भी असर पड़ेगा। भारी प्रदूषण के कारण महिला को ब्रोंकाइटिस का अटैक भी पड़ सकता है। यही नहीं गर्भधारण की एडवांस स्टेज में वायरल और बैक्टीरियल इंफेक्शन भी हो सकता है।
गर्भ में पल रहे बच्चें पर असर
दैनिक जागरण ने डॉ. मल्होत्रा से पूछा कि क्या स्मॉग का गर्भ में पल रहे बच्चे पर भी असर पड़ेगा? अगर हां तो उसे किस तरह की समस्याएं हो सकती हैं। उन्होंने कहा, ज्यादा समय तक ऐसे प्रदूषण में रहने से बच्चे पर निश्चित रूप में फर्क पड़ेगा। स्मॉग के असर से गर्भवती महिला को ब्रोंकाइटिस का अटैक या ब्रोंकल अस्थमा होने पर बच्चे तक ऑक्सीजन की सप्लाई कम हो जाएगी। अत्यधिक प्रदूषण के कारण बच्चे की गर्भ में ही मौत भी हो सकती है। यही नहीं बच्चे की पैदा होते ही मौत भी हो सकती है।
बांझपन भी दे सकता है स्मॉग
डॉ. विजय मल्होत्रा ने बताया कि दिल्ली में जिस तरह का स्मॉग देखने को मिल रहा है, वैसे वातावरण में कोई लंबे समय तक रहे तो उसका असर शरीर के किसी भी अंग के लिए घातक हो सकता है। उन्होंने बताया कि ऐसे प्रदूषण के संपर्क में रहने से किसी भी व्यक्ति (महिला-पुरुष) में बांझपन भी हो सकता है। हालांकि उन्होंने स्पष्ट किया कि ऐसा एक-दो दिन के प्रदूषण से नहीं होता।
बुजुर्गों पर स्मॉग का असर
बुजुर्गों को भी स्मॉग के कारण स्वास्थ्य संबंधी कई दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है। उन्हें सांस लेने में दिक्कत हो सकती है। इसके अलावा ब्रोंकाइटिस का अटैक पड़ने के साथ ही ब्रोकल अस्थमा भी उनकी जान के लिए दुश्मन बन सकता है। इनके अलावा रिक्शा ड्राइवर, सड़कों पर खाने-पीने का सामान और अन्य चीजें बेचने के लिए खड़े होने वाले वेंडर व हजारों-लाखों ऐसे लोग जिनके पास घर नहीं है उनकी जिंदगी भी ऐसे स्मॉग में खतरे में है। अगर ऐसा स्मॉग 4-5 दिन से ज्यादा रहता है तो यह उनके दिल, दिमाग और फेफड़ों को ऐसा नुकसान पहुंचा सकता है, जिसकी भरपायी संभव न हो।