जीवनशैली

जिद्दी और गुस्सैल बच्चों को ठीक करने के लिए अपनाएं ये उपाय, कभी नहीं होगे फेल

आभा अपनी दीदी काम्या के घर में घुसी तो उसे शोरगुल सुनाई पड़ा। सोचा दीदी के बच्चे आपस में लड़ रहे होंगे। लेकिन भीतर का नजारा अलग था। किचेन में कई डिब्बे और बर्तन फर्श पर पड़े थे। दीदी का बारह वर्षीय बेटा अभिषेक औंधे मुंह पड़ा रो रहा था और दीदी उसे डांट रही थी। नौ साल की अनु डरी हुई थी, वह कोने में खड़ी होकर सिसक रही थी। आभा ने पूछा तो पता चला कि अभिषेक मोहल्ला क्रिकेट टूर्नामेंट में शामिल होने के लिए तीन रुपए मांग रहा है। जिसके लिए उसके पापा ने मना कर दिया।
जिद्दी और गुस्सैल बच्चों को ठीक करने के लिए अपनाएं ये उपाय, कभी नहीं होगे फेल
दरअसल, जल्द ही अभिषेक के एग्जाम हैं। ऐसे में क्रिकेट टूर्नामेंट का हिस्सा बनने से उसकी पढ़ाई का नुकसान होगा, यह बात अभिषेक नहीं समझ रहा है। बस इसी बात से गुस्सा होकर अभिषेक ने रसोई में तोड़-फोड़ मचा दी और  चीखने-चिल्लाने के बाद रोने लगा। आभा ने धीरे से अपनी दीदी काम्या से कहा, ‘दीदी, यह सब आपके और जीजाजी के लाड़-प्यार का नतीजा है।’
तो काम्या खीझकर बोली,‘ये तो पैदा हुआ तब से ही ऐसा है। हमने थोड़ी सिखाया है इसे बर्तन फेंकना और इतना जिद करना। काम्या भले ही न माने लेकिन सच यही है कि कोई भी बच्चा जन्म से बिगड़ा हुआ नहीं होता, वह माता-पिता के लाड़-प्यार और व्यवहार के कारण ऐसा बनता है। ऐसे में पैरेंट्स को चाहिए कि शुरुआत से ही बच्चे को अनुशासित और व्यवहार कुशल बनाएं।

ऐसे बनता है बच्चा जिद्दी

कोलकाता के फोर्टिस हॉस्पिटल में सीनियर साइकिएट्रिस्ट डॉ. संजय गर्ग कहते हैं, ‘बच्चे को बहुत लाड़-प्यार करना, उसकी हर जिद को पूरा कर देना और उसकी अनुशासनहीनता को हंसकर टाल देना ही आगे चलकर मां-बाप के लिए परेशानी का सबब बन जाता है। बार-बार ऐसा करने से बच्चा घमंडी, जिद्दी और जरूरत से ज्यादा उम्मीद रखने वाला बन जाता है। बाद में जब वह डिमांडिंग हो जाता है और उसकी कोई इच्छा पूरी नहीं होती तो वह उद्दंड, विद्रोही और कभी-कभी हिंसक भी हो जाता है।’
हार्वर्ड मेडिकल स्कूल के मनोविज्ञानी डॉ. रिचर्ड ब्रोमफील्ड ने अपनी किताब ‘हाऊ टू अनस्पॉइल यूअर चाइल्ड फास्ट’ में लिखा है, ‘ज्यादातर पैरेंट्स, इस बारे में बिल्कुल ब्लैंक होते हैं कि अपने बच्चे को अनुशासित कैसे रखें। वे बच्चे का दिल नहीं दुखाना चाहते और उन्हें नाराज नहीं करना चाहते हैं, इसलिए उनकी इच्छाओं को पूरा करते रहते हैं।’ पैरेंट्स यही गलती करते हैं और बच्चा जिद्दी बन जाता है।
बच्चे का न रखें जरूरत से ज्यादा ख्याल अगर आपका बच्चा बहुत जिद्दी और गुस्सैल हो गया है तो आत्मसमीक्षा करके देखें कि कहीं आप बच्चे को जरूरत से ज्यादा खिलौने, इलेक्ट्रॉनिक गैजेट या अन्य उपहार तो नहीं दे रहे? बिना मांगे हर दिन नई चीज देना और मांगते ही तुरंत दे देना बच्चे को अहंकारी और जिद्दी बना सकता है।
बेवजह डांटने की बजाय निर्देश दें
कुछ माता-पिता बच्चों को अनुशासित करने के लिए जोर-जोर से चीखते हैं या मारते-पीटते हैं। ऐसा करने से बच्चा ढीठ और बागी हो जाता है। बेहतर यह होता है कि पैरेंट्स बच्चे को स्पष्ट तौर पर बताएं कि उसने क्या गलत किया है और आगे उसे क्या करना है? ये सभी बातें बच्चे को प्यार से समझाएं।
अनुशासन की आदत डालें
बच्चे को डांट-फटकार कर अनुशासित करने की बजाय आप खुद वैसा व्यवहार करें, जैसा बच्चे से चाहती हैं। याद रखिए, बच्चे के पहले आइडल पैरेंट्स ही होते हैं, आप उन्हें जैसा उदाहरण देंगी, वह वैसे ही बनेंगे। बच्चों को अनुशासन में रखना है तो खुद भी अनुशासित रहें।
ओवर प्रोटेक्टिव न बनें
आपका बच्चा कूदना-फांदना चाहता है, बाहर बरामदे, आंगन या पार्क में खेलना चाहता है या भाग-दौड़ करना चाहता है, तो उसे ऐसा करने दें। इन गतिविधियों से न सिर्फ उसका शारीरिक गठन सुधरेगा बल्कि वह स्ट्रेस फ्री भी होगा। इससे उसका मन शांत रहेगा और व्यस्त होने के कारण वह किसी तरह की जिद भी नहीं करेगा।
तुरंत न मनाएं
अगर आपने किसी बात पर बच्चे को डांट दिया है तो तुरंत मनाने की गलती न करें। कई बार बच्चे खाना नहीं खाते या बात नहीं करते। ऐसे में उसे इग्नोर करें वरना वह आपको हमेशा ऐसे ही ब्लैकमेल करेगा और जिद्दी हो जाएगा।

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