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‘जिप्सी’ की जिद ने घटाए पर्यटक अब ~600 प्रतिमाह गुजारे पर गाइड मजबूर
नागपुर.उमरेड करांडला वन्यजीव अभयारण्य के गोठन गांव गेट पर 7 मई को स्कूली अवकाश के साथ रविवार होने के बाद भी एक भी पर्यटक जंगल सफारी के लिए नहीं पहुंचे। जिप्सी की अनिवार्य शर्त के कारण यह कई दिनों से चल रहा था।
– गेट पर आश्रित गाइडों ने पेट्रोल खर्च भी नहीं निकाल पाने की स्थिति के बीच रविवार को कई गाइड गेट पर पहुंचे। लेकिन रविवार भी उन्हें निराशा ही दे गया।
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घट रहे हैं पर्यटक
-गाइड घटते पर्यटकों और इससे घटती आय को लेकर इन दिनों चिंता में डूबे रहते हैं। इन दिनों वन मंत्री सुधीर मुनगंटीवार अपने गृह जिले चंद्रपुर में आने वाले टाइगर साइटिंग के लिए मशहूर ताड़ोबा अंधारी बाघ परियोजना में पहुंचने वाले पर्यटकों को सौ टक्का बाघ के दर्शन कराने के लिए उपायोजना करने के लिए भले ही प्रेरित कर रहे हों। लेकिन नागपुर जिले के उमरेड करांडला वन्यजीव अभयारण्य में खुद वन विभाग के बनाए उसूलों के चलते पर्यटकों की संख्या निरंतर घटते जा रही है।
-उमरेड करांड सफारी के लिए अनिवार्य ‘जिप्सी’ सेवा पर्यटकों को गेट से ही बिदकाने का काम कर रही है। इस ‘ट्रिक’ के चलते भले ही सरकार के खाते में नॉनरीफंडेवल 1055 रुपए का राजस्व जमा हो रहा हो, लेकिन हाथों हाथ मेहनताना लेकर गुजारा करने वाले गाइडों (मार्गदर्शक) के अस्तित्व पर बन आई है।
-बीते 6 माह में अकेले ना केवल पर्यटकों की संख्या खतरनाक स्तर तक गिर गई है, बल्कि गाइड पेशे से जुड़े बेरोजगार युवा भी रोजगार की तलाश में पेशे को छोड़ने पर मजबूर हो रहे हैं।