व्यापार

जीएसटी बदलाव पर बोले व्यापारी, अभी भी भ्रम बरकरार

जीएसटी काउंसिल की बैठक के बाद भले ही कई व्यापारियों को राहत मिली है, लेकिन व्यापारियों का एक बड़ा तबका अभी भी सरकार से नाखुश है. जानकार इसे दिवाली से पहले की बड़ी राहत बता रहे हैं, लेकिन दिल्ली के अलग-अलग बाजारों में दुकान चलाने वाले व्यापारी इससे संतुष्ट नहीं है. व्यापारियों के अनुसार जीएसटी 2 फॉर्म से लेकर कुछ चीजों की जीएसटी दरों में कटौती ना होना व्यापार को प्रभावित कर रहा है. चांदनी चौक के पास खारी बावली के ड्राई फ्रूट व्यापारियों की परेशानी यह है कि जहां काजू और किशमिश में जीएसटी 5 प्रतिशत है तो वहीं बादाम और अखरोट के लिए यह दर 12 प्रतिशत है. व्यापारियों का कहना है कि सभी ड्राई फ्रूट की दरें एक समान होनी चाहिए.

खारी बावली के व्यापारी हेमंत ने आजतक को बताया कि ड्राई फ्रूट पर जीएसटी अलग-अलग है, जबकि वो सभी ड्राईफ्रूट्स पर 5 फीसदी जीएसटी लगना चाहिए. वहीं ऑटो पार्ट्स के व्यापारी भी इस बात से नाराज हैं कि उन्हें अभी भी 28 फीसदी जीएसटी देना पड़ रहा है, जबकि उन्हें उम्मीद थी कि शायद उनके लिए भी जीएसटी की दरों को कम किया जाएगा. ऑटो पार्ट्स व्यापारी विनय नारंग के मुताबिक ऑटोमोबाइल सेक्टर को नजरअंदाज किया गया है और हमें कोई राहत नहीं दी गई है. उन्हें उम्मीद थी कि ऑटो पार्ट्स को 18 फीसदी टैक्स स्लैब में लाया जाएगा.

हालांकि व्यापारी कंपोजिशन स्कीम, रिवर्सल पीरियड को आगे ले जाने से खुश तो है, लेकिन कपड़े पर लगने वाले जीएसटी की दरों से उन्हें अभी भी परेशानी है. वहीं रेडिमेड कपड़ों पर भी 5 फीसदी जीएसटी लगना चाहिए, लेकिन फिलहाल उन्हें 12 फीसदी जीएसटी पर रखा गया है, जो कि तर्क संगत नहीं है. व्यापारी नेता ब्रजेश गोयल कहते हैं कि कपड़े पर आजादी के बाद से ही टैक्स नहीं है, लेकिन इन्होंने 12 फीसदी टैक्स लगा रखा है. उनकी मांग है कि कपड़ों को 5 फीसदी की दर पर रखा जाए.

फिलहाल व्यापारियों को इस बात से भी आपत्ति है कि डेढ़ करोड़ से कम का रिटर्न भरने पर उन्हें तीन महीने का वक्त दिया गया है, लेकिन इससे बड़े व्यापारियों को हर महीने रिटर्न भरना पड़ेगा. लेकिन इससे दोनों की जीएसटी रिटर्न मिसमैच होंगे जिसको लेकर व्यापारियों में फिलहाल भ्रम की स्थिति में है.

Related Articles

Back to top button