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जीएसटी रिटर्न दाखिल न करने वाले 980 व्यापारियों को नहीं देनी होगी पेनाल्टी

हमीरपुर:जीएसटी रिटर्न दाखिल न करने वाले जिले के 980 व्यापारियों को सरकार ने अब बड़ी राहत दी है। जनपद में 980 ऐसे व्यापारी हैं जिन्होंने पंजीकरण कराने के बाद अभी तक जीएसटी का रिटर्न दाखिल नहीं किया है। सरकार की नयी व्यवस्था से अब इन व्यापारियों पर लगने वाली पेनाल्टी नहीं लगेगी। हमीरपुुर वाणिज्य कर (राज्य कर) के असिस्टेन्ट कमिश्नर सिंह प्रदीप भुवनेश्वर ने शुक्रवार को बताया कि सरकार ने एक जुलाई 2017 से ऐसे व्यापारियों को बड़ी राहत दी है, जिन्होंने पंजीकरण कराने के बाद अभी तक कोई रिटर्न दाखिल नहीं किया है। ऐसे व्यापारियों से कम से कम 40 हजार रुपये पेनाल्टी के तौर पर वसूलने का प्रावधान था, लेकिन सरकार ने पेनाल्टी माफ करने का फैसला लिया है। असिस्टेन्ट कमिश्नर ने बताया कि जनपद में 4177 पंजीकृत व्यापारी हैं। इनमें वाणिज्य कर खंड-1 में 2691 व खंड-2 में 1486 व्यापारी पंजीकृत हैं। उन्होंने बताया कि जनपद में 980 ऐसे व्यापारी हैं जिन्होंने पंजीकरण कराने के बाद अभी तक जीएसटी का रिटर्न दाखिल नहीं किया है। सरकार की नयी व्यवस्था से अब इन व्यापारियों पर लगने वाली पेनाल्टी नहीं लगेगी। उन्होंने बताया कि व्यापारी को पंजीकरण कराने के बाद हर महीने रिटर्न दाखिल करना होता है, भले ही कोई व्यापार हुआ हो या नहीं। यदि व्यापार जीरो भी हुआ है तो उसे भी रिटर्न में बताना होता है। असिस्टेन्ट कमिश्नर ने बताया कि सरकार की इस व्यवस्था से व्यापारियों को बड़ा फायदा होगा।

वाणिज्य राज्य कर विभाग के असिस्टेन्ट कमिश्नर सिंह प्रदीप भुवनेश्वर ने बताया कि पंजीकृत व्यापारियों के लिये मुख्यमंत्री व्यापारी दुघर्टना योजना लागू है, जिसमें व्यापारी की मौत होने पर पांच लाख रुपये की आर्थिक सहायता परिजनों को मिलती है। अभी तक जनपद में तीन व्यापारियों के परिजनों को इस योजना के तहत पांच-पांच लाख रुपये की आर्थिक सहायता दी जा चुकी है। उन्होंने बताया कि 15 जून 2018 से अब तक व्यापारियों की मौत या दुघर्टना होने सम्बन्धी सूचना अब शासन ने मांगी है, जिसके लिए सूचनायें तैयार करायी जा रही है।

वाणिज्य कर विभाग हमीरपुर में एक माह में 25 करोड़ रुपये का राजस्व मिलने से हड़कंप मचा हुआ है। अधिकारी इसे लेकर परेशान है कि इतना राजस्व तो साल भर में नहीं आता है फिर ये कैसे हो गया। असिस्टेन्ट कमिश्नर सिंह प्रदीप भुवनेश्वर ने बताया कि वर्ष 2018 के आखिरी माह दिसम्बर में विभाग को 25 करोड़ का राजस्व मिलने की ऑनलाइन सूचना मिली है, जो जांच का विषय है। उन्होंने बताया कि हर माह एक करोड़ से सवा करोड़ रुपये का राजस्व ही विभाग में आता है। फिलहाल इस मामले को लेकर सूचनाओं की जांच हो रही है।

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