अद्धयात्म
जीवन में करेंगे ऐसी भूल तो भगवान भी नहीं करेंगे आपकी मदद
एक मनुष्य किसी जरूरी काम से जा रहा था। रास्ते में घना जंगल आया। जंगल जल्द पार करने के लिए वह दौडऩे लगा। दौड़ते-दौड़ते शाम हो गई। उसी रास्ते में एक कुआं भी था। अंधेरा होने के कारण उसे कुआं दिखाई नहीं दिया। वह उसमें गिर गया।
गिरने के दौरान कुएं पर एक झुके हुए पेड़ की शाखा उसके हाथ में आ गई। उसने नीचे झांका, देखा- कुएं में चार अजगर बैठे हैं जो उसका इंतजार कर रहे हैं। वह पेड़ की जिस शाखा से लटका हुआ था, उसे दो चूहे कुतर रहे थे। तभी एक हाथी आया। वह पेड़ को जोर-जोर से हिलाने लगा।
वह व्यक्ति घबरा गया। उसने भगवान को याद किया। उसी पेड़ पर मधुमक्खियों का एक छत्ता भी था। पेड़ हिलने से मधुमक्खियां उडऩे लगीं और शहद की बूंदें टपकने लगीं। एक बूंद उसके होठों पर भी गिर गई।
उसने स्वाद चखा। बहुत मीठा था। उसने ऐसा मीठा शहद कहीं नहीं चखा था। वह शहद का स्वाद लेने में ही व्यस्त हो गया और कुछ देर पहले पैदा हुए संकट को भूल गया। उसने भगवान को भी याद किया था। इसलिए शिवजी उसे बचाने आए। उन्होंने उस व्यक्ति से कहा- मैं तुम्हारी रक्षा करने आया हूं। आओ, मेरा हाथ पकड़ लो।
व्यक्ति बोला- मैं पहले शहद समाप्त कर लेता हूं। उसके बाद आपके साथ चलूंगा। वह पुन: शहद का स्वाद लेने में व्यस्त हो गया। उसे पता ही नहीं चला कि उसने कितना वक्त बर्बाद कर दिया। जब शहद खत्म हो गया तो उसे याद आया कि उसके प्राण संकट में हैं।
उसने देखा, शिवजी वहां से प्रस्थान कर चुके हैं, शाखा टूटने वाली है, अजगर उसे खाने के लिए लालायित हैं। थोड़ी देर बाद शाखा टूट गई और वह मनुष्य कुएं में गिर गया।
सबक- मनुष्य का जीवन नेक कार्यों के लिए है। क्षणिक सुखों के वशीभूत होकर यहां हमेशा रहने की जिद न करें। जब तक दुनिया में हैं, नेक कार्यों को महत्व दें। अगर इस बात को समझने से चूक गए तो वही हश्र होगा जो उस मनुष्य का हुआ।