राजनीति

जुबानी आग उगल रहे नेताओं पर FIR दर्ज

06_10_2015-akbb-300x225पटना। बिहार विधानसभा चुनावों को लेकर तेज हो रही गहमागहमी में भाषा की मर्यादा भूलने वाले तीन बड़े नेताओं पर चुनाव आयोग का शिकंजा कस गया है। आयोग ने भाजपा अध्यक्ष अमित शाह, राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद तथा एमआइएम नेता अकबरूद्दीन ओवैसी के खिलाफ आचार संहिता उल्लंघन का मुकदमा दर्ज करवाया है।

इन तीनों नेताओं पर लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम एवं भारतीय दंड संहिता की धाराओं के तहत कार्रवाई की गई है। लालू प्रसाद के खिलाफ पटना के सचिवालय और जमुई के सिकंदरा थाने में प्राथमिकी दर्ज कराई गई है। तीनों नेताओं के खिलाफ आईपीसी की धारा 177(सी) 2 (बी)/177 (एफ)/188 के तहत मुकदमा दर्ज किया गया।

क्‍या बोले थे अमित शाह

भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष अमित शाह 30 सितंबर को बेगूसराय के सिंघौली में एक कार्यकर्ता सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे। सम्‍मेलन में उन्‍होंने कहा था कि बिहार की पहचान पहले जयप्रकाश नारायण के बिहार के रूप में होती थी आज उस बिहार को लोग चारा चोर लालू प्रसाद के नाम से जानते हैं।

लालू प्रसाद ने दिया जवाब

पटना में अपने घर से निकलते समय एक अक्टूबर को लालू ने कहा था देश ही नहीं, पूरी दुनिया जानती है कि गुजरात दंगे में शाह नरभक्षी के रूप में कुख्यात हुए थे। लालू प्रसाद ने फिर चार अक्टूबर को जमुई की सभा में कहा था अमित शाह नरभक्षी सदाचार न सिखाए जबकि बिना किसी का नाम लिए ट्वीट किया था एक नरभक्षी एवं तड़ीपार बिहार को सदाचार ना सिखाए। पहले स्वयं के कुकर्म एवं खुद पर लगी जघन्य धाराओं के बारे में लोगों को बताएं।

क्‍या बोले अकबरूद्दीन ओवैसी

मजलिसे इत्तेहादुल मुसलमीन (एमआइएम) के विधायक अकबरूद्दीन ओवैसी ने चार अक्टूबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर हमला बोलते हुए किशनगंज जिले के कोचाधामन में कहा था मोदी जालिम और शैतान हैं। 2002 के गुजरात दंगों के लिए जिम्मेदार हैं।

क्‍या है लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम एवं भारतीय दंड संहिता

आदर्श आचार संहिता (एमसीसी) के दौरान भारतीय दंड संहिता के 153ए के तहत कोई भी व्यक्ति धर्म, मूलवंश, जन्म स्थान, निवास स्थान, भाषा, संप्रदाय आदि के आधार पर शत्रुता को बढ़ावा देगा या सौहार्द पर प्रतिकूल प्रभाव डालने वाला कार्य करेगा, वह तीन वर्ष तक कारावास या जुर्माना से दंडित किया जाएगा।

आदर्श आचार संहिता (एमसीसी) में लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 के तहत की धारा 125 के तहत कोई भी व्यक्ति निर्वाचन प्रक्रिया के दौरान धर्म, वंश, जाति समुदाय या भाषा के जरिए भारत के नागरिकों के विभिन्न वर्गों के बीच शत्रुता या घृणा की भावनाओं को बढ़ावा देगा या प्रयास करेगा तो यह संज्ञेय अपराध का दोषी होगा।

 

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