जुर्माना लगाएं, मान्यता रद्द करना ठीक नहीं: चुनाव आयोग
नई दिल्ली: राजनीतिक दलों को चुनाव कानूनों का उल्लंघन करने पर उनकी मान्यता रद्द करने की शक्ति पर स्पष्टीकरण मांग रहे चुनाव आयोग ने मंगलवार को उच्चतम न्यायालय में अपना रुख एकदम पलट लिया। आयोग ने कहा कि उम्मीदवारों के प्रचार पर उच्चतम न्यायालय के निर्देशों का पालन नहीं करने वाले राजनीतिक दलों पर जुर्माना लगाया जाए, उनकी मान्यता रद्द करना ठीक नहीं होगा।
उच्चतम न्यायालय एक अवमानना याचिका पर सुनवाई कर रहा था, जिसमें 2020 में बिहार में हुए विधानसभा चुनाव में उच्चतम न्यायालय के अपराधिक छवि के उम्मीदवारों को चुनने का कारण न बताने और इसका उचित प्रचार नहीं करने पर कार्रवाई करने की मांग की गई थी।
न्यायमूर्ति आर.एफ. नरीमन और बी.आर. गवई की पीठ के समक्ष चुनाव आयोग की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे ने कहा कि राजनीतिक दलों को मान्यता रद्द कर दंडित करने से कोई फायदा नहीं होगा, उल्टे इससे जटिलताएं बढ़ेंगी। क्योंकि जिसके लिए उन्हें दंडित किया जाएगा वह चुनाव हो चुका और आने वाले चुनावों में उसका कोई उल्लंघन हुआ नहीं है, ऐसे में चुनाव चिह्न आदेश, 1968 के नियम 16ए के तहत दंडित करने से उनका चुनाव चिह्न प्रभावित होगा। उन्होंने कहा कि यह सुधार धीरे-धीरे होगा। इस मामले में नियम 16ए लगाया जाना उचित नहीं है।