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जुवेनाइल जस्टिस बिल तो पास हो गया लेकिन निर्भया को नहीं मिला इंसाफ, हम लड़ाई जारी रखेंगे: पीड़िता की मां

98276-nirbhaya-motनई दिल्‍ली : राष्‍ट्रीय राजधानी में 16 दिसंबर के बहुचर्चित नृशंस सामूहिक बलात्कार कांड़ की पीड़िता (इस कांड में उसकी मौत हो गई थी) के माता-पिता ने बहुप्रतीक्षित किशोर न्याय (संशोधन) विधेयक के पारित होने का यह कहते हुए स्वागत किया कि यह किशोरों को महिलाओं के खिलाफ ऐसा अपराध करने से रोकेगा लेकिन उन्होंने इस बात पर अफसोस जताया कि उनकी बेटी को इंसाफ नहीं मिला।

पीड़िता की मां आशा देवी ने बुधवार को एक बार फिर कहा कि उनकी बेटी अभी भी इंसाफ नहीं मिला है। बिल तो पास हो गया लेकिन हम इस संघर्ष में अब भी वहीं हैं, जहां पहले थे। हमारी बेटी को अभी भी न्‍याय नहीं मिला है। निर्भया की मां आशा देवी ने एएनआई से बातचीत में कहा कि हमारी लड़ाई खत्‍म नहीं हुई है। न्‍याय के लिए हमारी लड़ाई जारी रहेगी। लेकिन इस बिल के पारित होने तक जिन लोगों ने समर्थन दिया, मैं उनका आभार जताती हूं।

इससे पहले, पीड़िता की मां आशा देवी ने मंगलवार को कहा कि वैसे तो हम संतुष्ट हैं कि संशोधन पारित हो गए हैं और इससे जघन्य अपराध की पीड़िताओं को न्याय पाने में मदद मिलेगी लेकिन इस बात का दुख है कि हमारी बेटी ज्योति को इंसाफ नहीं मिला। सबसे अधिक क्रूर रहा किशोर अपराधी हमारी बार बार की अर्जियों और मांग के बावजूद रिहा हो गया। लड़की के पिता बद्री सिंह पांडे ने कहा कि यह अच्छी बात हुई है। हमारे प्रयास से कुछ नतीजे तो आए। इस मामले में किशोर अपराधी को रिहा कर प्रशासन ने गलत संदेश दिया है लेकिन नया कानून किशोरों को महिलाओं के खिलाफ ऐसा अपराध करने से रोकेगा। दोनों सैकड़ों युवकों ओर कार्यकर्ताओं के साथ पिछले तीन दिनों से जंतर मंतर और इंडिया गेट पर प्रदर्शन कर रहे हैं और इस विधेयक को पारित कराने एवं बाकी चार मुजरिमों को मृत्युदंड देने की मांग कर रहे हैं।  

गौर हो कि देश की आत्मा को झकझोर देने वाले निर्भया सामूहिक बलात्कार कांड के तीन वर्ष बाद संसद ने मंगलवार को किशोर न्याय से संबंधित एक महत्वपूर्ण विधेयक को मंजूरी दे दी जिसमें बलात्कार सहित संगीन अपराधों के मामले में कुछ शतो’ के साथ किशोर माने जाने की आयु को 18 से घटाकर 16 वर्ष कर दी गई है। इसमें किशोर न्याय बोर्ड के पुनर्गठन सहित कई प्रावधान किये गये हैं। देश में किशोर न्याय के क्षेत्र में दूरगामी प्रभाव डालने वाले किशोर न्याय (बालकों की देखरेख और संरक्षण) विधेयक को राज्यसभा ने ध्वनिमत से पारित कर दिया। इस विधेयक पर लाये गये विपक्ष के सारे संशोधनों को सदन ने खारिज कर दिया। लोकसभा इस विधेयक को पहले ही पारित कर चुकी है।

इससे पूर्व विधेयक पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए महिला एवं बाल विकास मंत्री मेनका गांधी ने कहा कि इस कानून के तहत जघन्य अपराधों में वे ही अपराध शामिल किये गये हैं जिन्हें भारतीय दंड विधान संगीन अपराध मानता है। इनमें हत्या, बलात्कार, फिरौती के लिए अपहरण, तेजाब हमला आदि अपराध शामिल हैं। उन्होंने संगीन अपराध के लिए किशोर माने जाने की उम्र 18 से 16 वर्ष करने पर कुछ सदस्यों की आपत्ति पर कहा कि अमेरिका के कई राज्यों, चीन, फ्रांस सहित कई देशों में इन अपराधों के लिए किशोर की आयु नौ से लेकर 14 साल तक की है। उन्होंने कहा कि यदि पुलिस के आकड़ों पर भरोसा किया जाए तो भारत में 16 से 18 वर्ष की आयु वाले बच्चों में अपराध का चलन तेजी से बढ़ा है। मेनका ने किशोर न्याय बोर्ड में किशोर आरोपी की मानसिक स्थिति तय करने की लंबी प्रक्रिया के संदर्भ में कहा कि ऐसा प्रावधान इसीलिए रखा गया है ताकि किसी निर्दोष को सजा न मिले। सदन में आज इस विधेयक को पेश करने और इस पर चर्चा के दौरान 16 दिसंबर के सामूहिक बलात्कार की पीड़िता के माता पिता भी दर्शक दीर्घा में मौजूद थे। इस विधेय के प्रावधान पिछली तारीख से प्रभावी नहीं होंगे। इस वजह से निर्भया मामले के नाबालिग दोषी पर विधेयक के प्रावधान लागू नहीं होंगे। उल्लेखनीय है कि इस नाबालिग दोषी को अदालत द्वारा रिहा कर दिया गया है। मेनका ने सदस्यों के इस आरोप को भी गलत बताया कि गरीबी के कारण किशोर ऐस अपराध करते हैं। उन्होंने कहा कि स्वीडन में एक भी व्यक्ति गरीब नहीं है, लेकिन उस देश में बलात्कार के सबसे ज्यादा मामले होते हैं। (एजेंसी इनपुट के साथ)

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