जून तिमाही के नतीजों से बैंकों की हालत में सुधार के कोई संकेत नहीं
मुंबई। जून तिमाही के नतीजों से बैंकों की हालत में सुधार के कोई संकेत नहीं मिले। प्राइवेट बैंक हों या फिर सरकारी, सभी एनपीए (फंसे कर्ज) की समस्या से जूझ रहे हैं। जून तिमाही में सरकारी बैंकों का कुल घाटा तकरीबन 2.5 करोड़ रुपए के स्तर पर पहुंच गया।
दिलचस्प है कि बैंकों में एनपीए की समस्या के बावजूद बैंक निफ्टी डेढ़ साल के ऊंचे स्तर चला गया है। बैंकिंग शेयरों ने अच्छे रिटर्न दिए हैं। वित्त वर्ष 2016-17 की पहली तिमाही में रिटेल पर फोकस करने वाले प्राइवेट बैंकों का प्रदर्शन अच्छा रहा। लेकिन, एक्सिस बैंक और आईसीआईसीआई बैंक की ग्रोथ पर अब भी दबाव बना हुआ है। जून तिमाही एक्सिस बैंक का मुनाफा 21.40 फीसदी घटा और ग्रॉस एनपीए 2.54 फीसदी रहा। आईसीआईसीआई बैंक का मुनाफा भी 25 फीसदी घट गया और ग्रॉस एनपीए 5.87 फीसदी रहा।
इंडसइंड ने चौंकाया
पहली तिमाही में इंडसइंड बैंक का मुनाफा करीब 26 फीसदी बढ़ा है। इस बैंक का ग्रॉस एनपीए महज 0.91 फीसदी रहा। एचडीएफसी बैंक, कोटक महिंद्रा बैंक और यस बैंक का मुनाफा और ग्रॉस एनपीए करीब-करीब स्थिर रहा।
सरकारी बैंकों को 2,413 करोड़ का घाटा
अप्रैल-जून तिमाही में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को कुल 2,413 करोड़ रुपए का घाटा हुआ। लगातार बढ़ते एनपीए की वजह से इंडियन ओवरसीज बैंक का घाटा बढ़कर 1,450.50 करोड़ रुपए हो गया। इस बैंक का ग्रॉस एनपीए 20.48 फीसदी रहा। आईओबी का एनपीए 13 साल में सबसे अधिक बढ़ा।
एसबीआईः बैड लोन बढ़ा
एसबीआई के बैड लोन में भी मामूली बढ़ोतरी हुई है। जून तिमाही में एसबीआई का मुनाफा और ग्रॉस एनपीए स्थिर रहे। बैंक ऑफ इंडिया का मुनाफा करीब 1,046 करोड़ रुपए और ग्रॉस एनपीए 6.94 फीसदी रहा। लेकिन, आईओबी के साथ-साथ यूको बैंक, यूनाइटेड बैंक ऑफ इंडिया, पीएनबी और सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया एनपीए बढ़ने के कारण मुसीबत में रहे। इस वजह से जून तिमाही में इन सभी बैंकों के नतीजे दबाव में रहे।