जेएनयू के छात्रों की अफजल के पक्ष में नारेबाजी बेवकूफी है, देशद्रोह नहीं : पी चिदंबरम
दस्तक टाइम्स एजेंसी/नई दिल्ली: वरिष्ठ कांग्रेसी नेता पी चिदंबरम ने जेएनयू छात्रों पर देशद्रोह का मुकदम दर्ज करने को गलत बताया है। चिदंबरम ने कहा, छात्रों पर देशद्रोह के मुकदमे को बेहद सख्त कदम बताया।
बेवकूफी है देशद्रोह नहीं
उन्होंने कहा कि अफजल के पक्ष में नारेबाजी करना बेवकूफी है, लेकिन देशद्रोह नहीं। अगर मैं गृहमंत्री होता तो कन्हैया पर से देशद्रोह का मुकदमा हटाने और उसकी रिहाई के आदेश दे देता। छात्रों का छेड़छाड़ किया हुआ वीडियो दिखाने के लिए चिदंबरम ने मीडिया को भी आड़े हाथों लिया।
वहीं कांग्रेस ने अपने वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम के इस बयान से दूरी बनाई कि संसद पर हमले के दोषी अफजल गुरु के मामले में ‘शायद सही से फैसला नहीं लिया गया’।
कांग्रेस ने किया अपने आपको बयान से अलग
पार्टी प्रवक्ता अश्विनी कुमार ने संवाददाताओं से कहा, अफजल गुरु के मामले में माननीय सुप्रीम कोर्ट का फैसला अंतिम है और मामले में कानून व्यवस्था की व्याख्या करता है। इस बहस को फिर से शुरू करना बेकार होगा क्योंकि मामला पहले ही न्यायिक परिणति तक पहुंच चुका है। प्रत्येक नागरिक और सरकार का तंत्र अंतिम अदालत के फैसले को स्वीकार करने के लिए बाध्य है।’’ वरिष्ठ अधिवक्ता कुमार ने कहा, ‘‘कांग्रेस पार्टी मामले में उच्चतम न्यायालय के फैसले को अंतिम और सही फैसले के रूप में स्वीकार करती है।’’ एक अखबार में प्रकाशित साक्षात्कार में चिदंबरम के हवाले से कहा गया कि उन्हें लगता है कि यह ‘‘ईमानदार राय’’ रखना मुमकिन है कि अफजल गुरु के मामले में ‘‘शायद सही फैसला नहीं हुआ था’’ और संसद पर हमले में उसके शामिल होने को लेकर गंभीर संदेह थे।
जब 2011 में तत्कालीन संप्रग सरकार ने अफजल गुरु की दया याचिका को खारिज कर दिया था तब चिदंबरम केंद्रीय गृह मंत्री थे।
संसद में चिदंबरम आए निशाने पर
भाजपा ने संसद में पूर्व गृह मंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम को निशाने पर लिया। केंद्रीय मंत्रियों अरुण जेटली तथा एम वेंकैया नायडू ने संसद हमला मामले में दोषी ठहराए जाने के बाद फांसी पर लटकाए गए अफजल गुरु के लिए की गई उनकी टिप्पणियों की आलोचना की। अफजल को 2001 में संसद में हुए आतंकी हमले के संबंध में दोषी ठहराया गया था और फांसी दी गई थी।
राज्यसभा में जेएनयू विवाद पर बोल रहे जेटली ने कांग्रेस से भारत विरोधी प्रदर्शनों को ‘‘आदर सम्मान’’ न देने के लिए कहा। उन्होंने अफजल गुरु की सराहना करने वालों के तर्कों के पक्ष में ‘‘एक प्रमुख पूर्व सहयोगी’’ की टिप्पणियों का भी संदर्भ दिया। उनका इशारा चिदंबरम की ओर था। लोकसभा में नायडू ने चिदंबरम का नाम लिए बिना कहा कि किसी को भी ऐसी राय जाहिर करने का और लोगों में असंतोष पैदा करने का अधिकार नहीं है। इस दौरान वाम सदस्य मंत्री से यह पूछते हुए देखे गए कि वह चिदंबरम का नाम क्यों नहीं ले रहे हैं।
गौरतलब है कि एक अखबार को दिए गए इंटरव्यू में चिदंबरम ने कथित तौर पर कहा था कि उन्हें लगता है कि यह ‘‘ईमानदार राय’’ रखना मुमकिन है कि अफजल गुरु के मामले में ‘‘शायद सही फैसला नहीं हुआ था’’ और संसद पर हमले में ‘‘उसके शामिल होने पर गंभीर संदेह था ।’’ अफजल गुरू को 9 फरवरी 2013 को फांसी दी गई थी ।
साल 2011 में पिछली संप्रग सरकार के दौरान जब अफजल गुरु की दया याचिका खारिज हुयी थी, उस वक्त चिदंबरम ही केंद्रीय गृह मंत्री थे । नायडू ने कहा कि पूर्व गृह मंत्री द्वारा अफजल के मामले में ऐसे विचार जाहिर करना सही नहीं है।
उन्होंने कहा कि क्या अमेरिका में कोई विश्वविद्यालय ओसामा बिन लादेन की बरसी मना सकता है। उन्होंने कहा कि जेएनयू जैसी घटनाओं को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।