जेएनयू विवाद पर नायडू बोले- छिपाने या चिंता करने के लिए कुछ भी नहीं

एजेंसी/ नई दिल्ली : सरकार को जेएनयू विवाद पर घेरने के विपक्ष के प्रयासों का जवाब देते हुए केंद्रीय मंत्री एम वेंकैया नायडू ने मंगलवार को कहा कि सत्ता पक्ष के पास न तो छिपाने के लिए कुछ है और न ही चिंता करने वाली कोई बात है। उन्होंने यह भी कहा कि विश्वविद्यालय में जो कुछ हुआ उसे लेकर पूरा देश चिंतित है।
संसद के बजट सत्र के पहले दिन संवाददाताओं से बातचीत में नायडू ने हैदराबाद विश्वविद्यालय में एक दलित शोधार्थी द्वारा आत्महत्या किए जाने के मुद्दे का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि पूर्ववर्ती संप्रग सरकार के शासनकाल में इस संस्थान में दस छात्र अपनी जीवनलीला समाप्त कर चुके हैं। विपक्ष जिन मुद्दे पर सरकार को निशाने पर ले रहा है उनमें दलित शोधार्थी रोहित वेमुला की आत्महत्या का मुद्दा भी शामिल है।
नायडू ने इस मुद्दे पर सरकार की आलोचना के बारे में पूछे जाने पर पलटवार करते हुए कहा कि यह किसने किया? ऐसा माहौल किसने बनाया? जेएनयू विवाद का संदर्भ देते हुए नायडू ने कहा कि जेएनयू में जो कुछ हुआ उससे पूरा देश व्यथित है। देश के खिलाफ और पड़ोसी (पाकिस्तान) के पक्ष में नारे लगाए जा रहे थे। लोग परेशान हैं। बहस होने दीजिये। हमारे पास न तो कुछ छिपाने के लिए है और न ही चिंता करने वाली कोई बात है। हमें किसी भी मुद्दे पर बहस करने में हिचकिचाहट नहीं है।
नायडू ने इस खबर को गलत बताते हुए सिरे से खारिज कर दिया कि सरकार जेएनयू को बंद करने पर विचार कर रही है। उन्होंने कहा कि वहां कुछ आपत्तिजनक चीजें हुईं। अब उन्हें छिपाने के लिए कुछ लोग संस्थान को बदनाम कर रहे हैं। यह गलत जानकारी है और यह सरकार को निशाना बनाने के लिए दुष्प्रचार का हिस्सा है। कुछ छात्रों ने इस बारे में चिंता जताते हुए मुझसे मुलाकात की। यह पूरी तरह गलत है। ऐसा तो कोई सवाल ही नहीं उठता। नायडू ने कहा कि किसी भी विश्वविद्यालय का मुख्य उद्देश्य अकादमिक उत्कृष्टता होता है। उन्होंने कहा कि सरकार जेएनयू में इसी बात को मजबूत करना चाहती है। मीनाक्षी लेखी सहित कुछ भाजपा सांसदों ने लोकसभा में जेएनयू मुद्दे पर तथा पाकिस्तानी अमेरिकी आतंकी डेविड हेडली की गवाही के मुद्दे पर चर्चा करने के लिए नोटिस दिया है। हेडली ने गवाही में कहा था कि गुजरात में कथित फर्जी मुठभेड़ में मारी गई इशरत जहां लश्कर ए तैयबा की सदस्य थी।
नायडू से आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत की इन टिप्पणियों के बारे में पूछा गया कि आरक्षण के मुद्दे पर गौर करने के लिए एक गैर राजनीतिक इकाई होनी चाहिए। इस पर केंद्रीय मंत्री ने कहा कि संघ नेता ने जो कहा, उस पर वह नहीं कुछ नहीं कहते और सरकार वही करेगी जो उसे करना है।