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जेएनयू : हिंदू रक्षा दल ने ली हिंसा की जिम्मेदारी, छत्रसंघ अध्यक्ष आइशी घोष समेत 19 पर एफआईआर दर्ज

नई दिल्ली : राजधानी स्थित जेएनयू कैंपस में रविवार को हुई हिंसा के आरोप में मंगलवार को छात्रसंघ अध्यक्ष आइशी घोष समेत 19 लोगों पर एफआईआर दर्ज किया गया है। हिंसा के तीन दिन बीत जाने के बाद भी दिल्ली पुलिस ने अब तक किसी को गिरफ्तार नहीं कर पाई। उधर, हिंदू रक्षा दल के नेता पिंकी चौधरी ने हमले की जिम्मेदारी ली है। मामले जांच के लिए क्राइम ब्रांच की टीम जेएनयू पहुंची है। इस बीच, प्रख्यात अर्थशास्त्री और जेएनयू के प्रोफेसर सीपी चंद्रशेखर ने यूनिवर्सिटी में बने हालात के चलते आर्थिक आंकड़ों की समीक्षा करने वाले सरकारी पैनल में अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। बीते पांच जनवरी की घटना पर एक एफआईआर दर्ज हुई है। घटना के बाद किसी भी तरह की दूसरी हिंसा नहीं हुई है। रविवार को कुछ नकाबपोशों ने कैम्पस में घुसकर छात्रों और शिक्षकों के साथ मारपीट की थी और हॉस्टल में तोड़फोड़ की थी। हिंदू रक्षा दल के नेता पिंकी चौधरी ने कहा कि जेएनयू राष्ट्रविरोधी गतिविधियों का केंद्र है। हम इसे बर्दाश्त नहीं कर सकते। हम जेएनयू में हमले की पूरी जिम्मेदारी लेते हैं। हमलावर हमारे लोग थे। सरकारी सूत्रों के मुताबिक, पिंकी चौधरी ने जो बयान दिया है उसकी जांच जारी है। दिल्ली पुलिस ने इसका संज्ञान लिया है। जेएनयू में चेहरा ढककर आए लोगों की पहचान के लिए पुलिस वीडियो फुटेज और फेस रिकग्निशन सिस्टम की मदद ले रही है। यूथ कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने सोमवार शाम इंडिया गेट पर मशाल रैली निकाली। तमिलनाडु में भी छात्रों ने कैंडल मार्च निकाला। कोलकाता में लेफ्ट और भाजपा समर्थक इसी मामले पर आमने-सामने आ गए। सुरक्षा के मद्देनजर जेएनयू में 700 पुलिसकर्मी तैनात किए गए। उत्तरी गेट पर एबीवीपी से जुड़े छात्रों ने भी विरोध जताया। भीड़ ने ‘वामपंथ की एक दवाई, जूता चप्पल औप पिटाई’, ‘गद्दारों की कब्र खुदेगी, सावरकर की धरती पे’, ‘दिल्ली पुलिस लठ बजाओ, हम तुम्हारे साथ हैं’ जैसे नारे लगाए। मुम्बई में एक पुलिस अधिकारी ने कहा कि जेएनयू हिंसा के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे लोगों की वजह से गेटवे ऑफ इंडिया के पास सड़क पर जाम लग गया था। पर्यटकों और आम लोगों को आने-जाने में परेशानी हो रही थी। हमने प्रदर्शनकारियों से आजाद मैदान जाने की अपील की थी, लेकिन किसी ने नहीं सुनी। छात्रों, महिलाओं और वरिष्ठ नागरिकों समेत सैकड़ों लोग रविवार आधी रात से ही गेटवे ऑफ इंडिया पर जमा होकर दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग कर रहे थे। उन्होंने गृह मंत्री अमित शाह के इस्तीफे की भी मांग की।
आइशी ने सोमवार को कहा कि यह एक सुनियोजित हमला है। आरएसएस से जुड़े कुछ प्रोफेसर हिंसा को बढ़ावा दे रहे हैं। छात्रसंघ के उपाध्यक्ष साकेत मून ने पुलिस पर आरोप लगाते हुए कहा कि हमने हमले के दो घंटे पहले उन्हें सूचित किया गया था, लेकिन फिर भी कोई मदद नहीं मिली। उधर, एबीवीपी ने सोमवार को आरोप लगाया कि हमले में लेफ्ट के लोग भी शामिल हैं। जेएनयू में एबीवीपी के सेक्रेटरी मनीष जांगिड़ ने दावा किया कि हमलावर मास्क पहने हुए थे। उनका नेतृत्व जेएनयू छात्र संघ की अध्यक्ष आइशी घोष कर रही थी। मनीष ने कहा कि हमें पता चला कि हमलावर कावेरी हॉस्टल की तरफ आ रहे थे और मैं पेरियार हॉस्टल में अपने दोस्तों के साथ छिपा हुआ था। हॉस्टल के अंदर उन्होंने एबीवीपी से जुड़े छात्रों के कमरों पर हमला किया। उन्होंने कमरों में तोड़फोड़ की और जब मैं हॉस्टल के दूसरे विंग में गया तो उन्होंने मुझे तब तक लाठियों से पीटा जब तक मैं बेहोश नहीं हो गया। जेएनयू में फीस बढ़ोतरी के खिलाफ प्रदर्शन के दौरान रविवार रात हिंसा हुई थी। नकाबपोशों ने छात्र-शिक्षकों को डंडे और लोहे की रॉड से बुरी तरह पीटा। वे ढाई घंटे तक कैम्पस में कोहराम मचाते रहे। हमले में छात्र संघ अध्यक्ष आइशी घोष समेत कई घायल हो गए। आइशी ने एबीवीपी पर हमले का आरोप लगाया और कहा कि नकाबपोश गुंडों ने मुझे बुरी तरह पीटा। करीब 35 लोग जख्मी हो गए।

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