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जेपी ग्रुप पर करीब 8 हजार 365 करोड़ रुपये का कर्ज है, जिसमें सबसे ज्यादा कर्ज आईडीबीआई बैंक का है। मनीकंट्रोल पोर्टल के मुताबिक, आईडीबीआई बैंक की याचिका पर ही एनसीएलटी ने ये फैसला सुनाया है। इस फैसले की सबसे ज्यादा मार उन लोगों पर पड़ी है, जिन्होंने जेपी ग्रुप से कोई प्रॉपर्टी खरीदी है और उसकी डिलीवरी नहीं मिली है। सूत्रों के मुताबिक नोएडा, ग्रेटर नोएडा में 32 हजार नए घर जेपी बिल्डर्स बना रहा है, और ऐसे घरों में निवेश करने वाले लोगों का पैसा फंस गया है।
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बता दें कि जेपी ग्रुप गौतमबुद्ध नगर, अलीगढ़, आगरा में 5 टाउनशिप बना रहा है। इन बड़ी परियोजनाओं में हजारों घर, पेंट हाउस, प्लॉट्स, स्कूलों की जगह है। जेपी ग्रुप ग्रेटर नोएडा में यमुना एक्सप्रेसवे के किनारे ही हजारों फ्लैट्स बना रहा है। जेपी ग्रुप ने ही यमुना एक्सप्रेसवे के निर्माण का ठेका लिया था, जिसकी लागत 128.39 बिलियन रुपए आई थी। इसके अलावा ग्रेटर नोएडा में ही जेपी बिल्डर्स ने रेसिंग ट्रैक, क्रिकेट स्टेडियम समेत तमाम बड़े निर्माण कार्यों को अंजाम दिया है।
गौरतलब है कि आरबीआई ने जिन 12 कंपनियों को दिवालिया घोषित करने की प्रक्रिया के तहत इंसॉल्वेंसी कोड में डाला है उनमें भी जेपी इंफ्राटेक का नाम शामिल है. जयप्रकाश एसोसिएट्स के मालिक मनोज गौर हैं। जिन 12 कंपनियों को दिवालिया घोषित करने के लिए इंसाल्वेंसी कोड में डाला गया है, उनमें मोनट इस्पात, ज्योति स्ट्रक्चर्स, इलेक्ट्रोस्टील स्टील्स, एमटेक ग्रुप, एस्सर स्टील, भूषण स्टील, भूषण पॉवर एंड स्टील, जेपी इंफ्राटेक, लैंको इंफ्राटेक, एबीजी शिपयार्ड, आलोक इंडस्ट्रीज और एरा इंफ्रा एंड इंजीनियरिंग के नाम हैं।