जेपी इंफ्रा को दिवालिया घोषित करने पर सुप्रीम कोर्ट ने लगाया स्टे
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जेपी ग्रुप से फ्लैट खरीदने वाले 32 हजार बॉयर्स ने सुप्रीम कोर्ट से गुहार लगाई थी कि वो नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्युनल की इलाहाबाद बेंच के दिवालिया घोषित करने के फैसले पर तत्काल रोक लगाएं। बॉयर्स ने चीफ जस्टिस जे एस खेहर और जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ की बेंच के सामने याचिका दायर करके जल्द सुनवाई करने को कहा था।
बॉयर्स की तरफ से याचिका दायर करते हुए सीनियर वकील अजीत के सिन्हा ने कहा कि एनसीएलटी के आदेश के बाद कार्पोरेट मंत्रालय ने घर खरीदने वाले बॉयर्स से दिवालिया कानून के सेक्शन 14 के तहत एक फॉर्म भरने के लिए कहा है। अगर बॉयर्स यह फॉर्म भर देते हैं तो फिर वो किसी भी उपभोक्ता अदालत में कंपनी के खिलाफ केस दर्ज नहीं कर पाएंगे।
प्राधिकरण के पास है जमीन का मौलिक अधिकार
नोएडा, ग्रेटर नोएडा और यमुना प्राधिकरण में दी गई जमीन 90 साल की लीज पर है। लीज होल्ड होने के कारण मालिकाना हक प्राधिकरणों के पास ही है।ऐसे में कोई भी बैंक या संस्था तब तक यहां की किसी भी संपत्ति की नीलामी नहीं कर सकती, जब तक कि प्राधिकरण से एनओसी न ले ले। प्राधिकरणों का कहना है कि किसी भी संपत्ति की नीलामी की अनुमति देने से पहले यह सुनिश्चित किया जाएगा कि प्राधिकरण और खरीदारों का पैसा न डूबे।
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ऐसे में अगर जेपी इंफ्राटेक के नाम पर आवंटित संपत्ति की नीलामी का आदेश होता है तो भी प्राधिकरण की मर्जी के बिना बैंक नीलामी नहीं कर सकेगा। यमुना प्राधिकरण के मुताबिक जेपी इंफ्राटेक के नाम पर यमुना एक्सप्रेसवे ही है। नोएडा में स्थित एलएफडी वन (विश टाउन, अमन आदि) आदि भी जेपी इंफ्राटेक के नाम पर है।
यमुना की तरह नोएडा में भी प्राधिकरण की एनओसी के बिना किसी भी संपत्ति की नीलामी नहीं हो सकती है।