नई दिल्ली। सहारा समूह के प्रमुख सुब्रत रॉय अभी जेल में बने रहेंगे हालांकि सर्वोच्च न्यायालय ने बुधवार को सहारा समूह की चल-अचल संपत्तियों को बेचने पर लगाई गई रोक हटा ली। न्यायालय ने सहारा समूह की संपत्तियों को बेचने पर लगा प्रतिबंध इसलिए हटाया ताकि समूह उन्हें बेचकर अपने निवेशकों को 1० ००० करोड़ रुपये लौटा सके। सर्वोच्च न्यायालय ने इसी वर्ष 26 मार्च को कहा था कि सहारा समूह निवेशकों द्वारा समूह की दो कंपनियों -सहारा इंडिया रियल एस्टेट कॉरपोरेशन लिमिटेड (एसआईआरईसीएल) और सहारा हाउसिंग इनवेस्टमेंट कॉरपोरेशन लिमिटेड (एसएचआईसीएल)- में किए गए 24 ००० करोड़ रुपये के निवेश के एक हिस्से के रूप में 1० ००० करोड़ रुपये जमा करेगा उसके बाद ही सुब्रत रॉय और समूह के दो निदेशकों को रिहा किया जाएगा। रॉय और दो अन्य निदेशक चार मार्च से ही न्यायिक हिरासत में हैं। न्यायमूर्ति टी. एस. ठाकुर और न्यायमूर्ति ए. के. सीकरी की पीठ ने सहारा समूह को अपनी सावधि जमा बाण्ड एवं प्रतिभूतियों को भुनाने की अनुमति दे दी और इस तरह इकट्ठा राशि को सेबी द्वारा खोले गए खाते में जमा करने का निर्देश दिया। न्यायालय ने सहारा समूह को नौ शहरों में स्थित अपनी संपत्तियों को भी बेचने की अनुमति दे दी ताकि समूह सेबी के पास जमा कराने के लिए आवश्यक 5 ००० करोड़ रुपये की राशि का भी प्रबंध कर सके। न्यायालय ने बैंक गारंटी के रूप में 5 ००० करोड़ रुपये एकत्रित करने के लिए सहारा समूह को अपनी एम्बी वैली वाली संपत्ति को गिरवी रखने की अनुमति भी दे दी। सर्वोच्च न्यायालय ने इससे पहले 31 अगस्त 2०12 को दिए अपने आदेश में सहारा समूह को इसके निवेशकों की 24 ००० करोड़ रुपये की राशि लौटाने के लिए कहा था। सहारा समूह ने अपनी दो कंपनियों ‘सहारा इंडिया रियल एस्टेट कॉरपोरेशन लिमिटेड’ और ‘सहारा हाउसिंग इनवेस्टमेंट कॉरपोरेशन लिमिटेड’ के जरिए पूरी तरह परिवर्तनीय ऋण पत्रों के माध्यम से ये निवेश प्राप्त किए थे।