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जैवलिन थ्रो में इतिहास रचने को तैयार नीरज चोपड़ा, क्या आप जानते हैं इस खेल के नियम?

भारत की ओर से जिस खिलाड़ी को टोक्यो ओलिंपिक (Tokyo Olympic) में मेडल लाने की सबसे बड़ी उम्मीद के तौर पर देखा जा रहा है उनमें युवा एथलीट नीरज चोपड़ा (Neeraj Chopra) का नाम अहम है.क्वालिफाइंग राउंड में केवल एक ही प्रयास में फाइनल में जगह बनाने वाले नीरज अब इसके प्रबल दावेदार बन चुके हैं. अगर नीरज शनिवार की शाम मेडल जीतने में कामयाब होते हैं तो वह इतिहास रच देंगे. भारत को आज तक एथलेटिक्स में कोई ओलिंपिक मेडल हासिल नहीं हुआ है.

नीरज चोपड़ा के कारण देश भर में जैवलिन थ्रो का खेल काफी लोकप्रिय हुआ है. अब जबकि इस खेल में भारत मेडल का दावेदार बन चुका है तो लोगों की इस खेल में भी दिलचस्पी बढ़ चुकी है. जैवलिन या भाला फेंकने का यह खेल देखने में काफी आसान लगता है, लेकिन नियमों में बंधकर इसे करना उतना ही मुश्किल है.

जैवलिन यानि की भाले के तीन हिस्से होते हैं. पहला हिस्सा नोकिला भाग (टिप) होता है जो जमीन में घुसता है. इसके बाद लकड़ी या मेटल का बना हुआ शाफ्ट या पाइप. बीच में धागे से बनी हुई ग्रिप होती है. इस ग्रिप की डायामीटर शाफ्ट के डायामीटर से 0.13 इंच ज्यादा होती है. पुरुषों के लिए जैवलिन की लंबाई 2.60 मीटर से 2.70 मीटर तक होती है. वहीं उसका वजन 800 ग्राम होता है. महिलाओं में जैवलिन की लंबाई 2.20 मीटर से 2.30 मीटर तक होती है और उसका वजन 600 ग्राम होता है.

एथलीट जैवलिन को ग्रिप से पकड़े हुए कंधे से ऊपर रखते हुए 30 मीटर के बने रनिंग ट्रैक पर दौड़ता है. इस रनवे की चौड़ाई चार मीटर होती है. रनवे के अंत में एक लाइन होती है जिससे बाहर पैर पड़ने पर उस अटेंप्ट को नहीं माना जाता है. इस दौरान खिलाड़ियों को ग्लव्स पहनने की अनुमति नहीं होती है. चोट लगने की स्थिति में वह टेप का इस्तेमाल कर सकते हैं. जब तक जैवलिन हवा में होता है खिलाड़ी न तो सेक्टर एंगल (गोले के सामने का हिस्सा जहां जैवलिन लैंड करता है) की ओर पीठ कर सकता है न ही रनवे छोड़ सकता है. खिलाड़ी को जैवलिन को लगभग 29 डिग्री से बने आर्क सेक्टर में फेंकना होता है. इस बीच सेक्टर के दोनों ओर एक सात मीटर की स्क्रैच लाइन होती है, जैवलिन इससे बाहर जाए तो फाउल माना जाता है. हर खिलाड़ी को छह अटेंप्ट दिए जाते हैं जिसमें से सर्वश्रेष्ठ अटेंप्ट को गिना जाता है.

अगर जैवलिन का टिप ग्राउंड में न घुसे तो उस अटेंप्ट को नहीं माना जाता है. टिप से पहले अगर जैलविन का कोई और हिस्सा जमीन को छुए तो उसे भी फाउल माना जाता है. लैंडिंग सेक्टर के बाहर जैवलिन जाएं तो उसे भी फाउल माना जाता है. वहीं शरीर का कोई हिस्सा अगर रनवे की मार्किंग लाइन से बाहर जाए तो उस अटेंप्ट को भी नहीं माना जाता है. जैवलिन थ्रो का वर्ल्ड रिकॉर्ड जैन जेलेगनी के नाम है जिन्होंने जर्मनी में जेस्स मीटिंग इवेंट में 98.48 मीटर की दूरी तक जैवलिन फेंका था. वहीं भारत के नीरज चोपड़ा का अब तक का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन 88.06 मीटर है.

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