दस्तक टाइम्स एजेन्सी/ आशीष जोशी . बाड़मेर। पाकिस्तान की ओर से गणतंत्र दिवस पर पश्चिमी सरहद को पार कर आए बैलून के मामले को जैसलमेर एयरफोर्स स्टेशन की बड़ी चूक माना जा रहा है। जैसलमेर के बाद बाड़मेर के उत्तरलाई एयरफोर्स स्टेशन से भी इस मामले में चूक हुई।
वायुसेना दोनों एयरफोर्स स्टेशन के रडार की रेंज को टटोलने के साथ अन्य तकनीकी और मानवीय खामियों की समीक्षा कर रही है। रक्षा मंत्रालय ने इस मामले को गंभीरता से लिया है।
रक्षा विशेषज्ञों का मत है कि चूंकि ये बैलून पाकिस्तान की ओर से आए थे तो इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि भारत की सुरक्षा एजेंसियों की सतर्कता और रेस्पॉन्स टाइम परखने के लिए यह उसकी टेस्ट ड्राइव हो।
इस आशंका के संबंध में रक्षामंत्री पहले ही बयान दे चुके हैं। हैरानी की बात यह है कि वह इस टेस्ट ड्राइव में सफल भी रहा। क्योंकि भारत की सीमा में आने के करीब आधा घंटा बाद ये बैलून रडार की पकड़ में आए। तब तक वे जैसलमेर की सीमा को पार कर बाड़मेर जिले में पहुंच गए थे। सूत्रों के अनुसार रक्षा मंत्रालय ने वायुसेना के इस रेस्पॉन्स टाइम को ठीक नहीं माना है।
बड़ी चूक इसलिए…
– पाक की ओर से आए बैलून भारतीय सीमा में 50 से 100 किलोमीटर भीतर तक आने के बाद ट्रेस हुए। तब तक दुश्मन इन बैलून के जरिए किसी भी तरह की तबाही मचा सकता था।
– सूत्रों के अनुसार पश्चिमी सरहद पर संभवत: पाक की ओर से पहली बार आए ये बैलून जैसलमेर और उत्तरलाई की बजाय जोधपुर एयरफोर्स स्टेशन ने टे्रस किए। दोनों स्टेशन से इतनी बड़ी चूक कैसे हो गई?
– तीन मीटर के गुब्बारे की जगह पाक ने यदि कोई लड़ाकू विमान भेजा होता और भारतीय वायुसेना की ओर से इतनी देर बाद उसे डिटेक्ट किया जाता तो इसके गंभीर परिणाम हो सकते थे।
– बैलून को जब तक फोड़ गिराया तब तक वह 300 किलोमीटर भारतीय सीमा में पहुंच चुका था।
सुखोई ने यू टर्न कर फोड़ा था
अब तक की जांच में यह सामने आया है कि चूंकि गुब्बारा पश्चिमी से पूर्व की तरफ उड़ रहा था, इसलिए सुखोई-30 से उसे फोड़ गिराने में वायुसेना को काफी मशक्कत करनी पड़ी। उस पर फ्रंट (सामने) से फायर नहीं किया जा सकता था, क्योंकि ऐसी स्थिति में गोलियां या अन्य कारतूस पाक सीमा में गिरने का खतरा रहता। ऐसे में सुखोई ने पहले पाक सीमा तक उड़़ान भरी और फिर यू-टर्न लेकर गुब्बारे को निशाना बनाया।
बीएसएफ मान ही नहीं रही
इधर, सरहद की निगेहबानी करने वाली बीएसएफ अब तक यह मानने को तैयार ही नहीं है कि पाक की ओर से कोई गुब्बारे आए थे। बीएसएफ का कहना है कि उन्होंने तो सरहद पार करते कोई गुब्बारा नहीं देखा। हालांकि बीएसएफ अधिकारी इस संबंध में बयान देने से बच रहे हैं। वैसे बीएसएफ जवान दूरबीन की सहायता से 500 से 700 मीटर तक सामने ही देख सकते हैं। जबकि ये गुब्बारे 20 हजार फीट से ज्यादा की ऊंचाई पर थे। गौरतलब है कि गणतंत्र दिवस के दो दिन बाद 28 जनवरी को खोखरापार में हुई बीएसएफ सेक्टर कमांडर और पाक डीडीजी रेंजर्स की बैठक में भी सीसुब ने बैलून का मुद्दा नहीं उठाया था।