लखनऊ : जोड़ों के दर्द, अर्थराइटिस के दर्द, को बढ़ती उम्र (ओल्ड एज सिंड्रोम) के रूप में न लें। हाल-फिलहाल में युवाओं और प्रौढ़ उम्र के लोगों में भी जोड़ों के दर्द की बढ़ती शिकायतें दर्ज की गई हैं। मांसपेशियों और हड्डियों की मूवमेंट का मतलब जोड़ों में टूट-फूट की समस्या का बढ़ना नही है, लेकिन यह आवश्यक पोषक तत्वों की कमी और नर्वस टिशूज में आये ढीलेपन का संकेत हो सकता है। जरूरी कैल्शियम और मैग्नीशियम के अवशोषण में होने वाली कमी हमारे शरीर में विटामिन डी पर निर्भर करता है। यदि हमारे शरीर में विटामिन डी की कमी हो, चाहे वह हमारे द्वारा ली जा रही दवाएं रक्तधाराओं में सही रूप में अवशोषित न हो रही हो तो इससे समय पर आराम नहीं मिल पायेगा।
अस्थि-पंजर, इंसानी शरीर के अंदरूनी हिस्से की मुख्य संरचना होती है। ये अस्थि-पंजर 206 हड्डियों पर टिकी होती हैं। उन हड्डियों की वजह से ही इंसान चलता-फिरता है। हमारे शरीर की कुछ हड्डियों में जोड़ होते हैं, ये जोड़ हमारे शरीर को निर्बाध रूप से हिलाने में मदद करते हैं। जोड़ शरीर का सबसे जरूरी हिस्सा होते हैं, जो कि हड्डियों को आपस में जोड़ते हैं। हमारे शरीर में मुख्य रूप से पांच प्रकार के जोड़ होेते हैं। कंधे, कुहनी, कलाइयां, कूल्हे, घुटने। जोड़ एक हड्डी को दूसरी हड्डी से जोड़ते हैं और हमें पूरे शरीर को सहारा देने में मदद करते हैं। इसलिये, जोड़ों को होने वाला हल्का-सा नुकसान भी हमारे शरीर के लिये वाकई बहुत बुरा होता है। यदि किसी जोड़ में चोट लग जाये तो काफी दर्द होता है। जोड़ का दर्द कई कारणों से होता है। हाल के दिनों में यह बीमारी हमारे देश में सबसे ज्यादा चर्चा में रहने वाली बीमारियों में से एक है। लोग 35-40 साल की उम्र से ही जोड़ के दर्द से पीड़ित हो जाते हैं। जोड़ों के दर्द की गंभीरता इस बात पर निर्भर करती है कि जोड़ के आस-पास के प्रभावित लिगामेंट या एट्रियम्स के कारण होने वाली चोट कैसी है। इससे लिगामेंट, कार्टिलेज, जोड़ के आस-पास की हड्डियों पर प्रभाव पड़ता है।
जोड़ों के दर्द के उपचार का सबसे आसान तरीका है अपने जीवनशैली में बदलाव लानाः
– शरीर में विटामिन डी के निर्माण के लिये सुबह-सुबह सूरज की रोशनी में बैठना जरूरी होता है।
– तरल पदार्थ, जिसमें ज्यादा से ज्यादा अपरिष्कृत सलाद/फल हों।
– सुबह के समय एलोविरा का जूस पीने से जोड़ों में ल्यूब्रिकेशन बढ़ता है और ग्लूकोसामाइन का स्तर बढ़ाकर टेंडन का लचीलापन बढ़ाया जा सकता है।
– ठंडे और गरम का सेंक ले, इसके लिये जोड़ों पर गरम और ठंडा पानी डालें या फिर 2-5 मिनट (कम से कम तीन बार) के अंतराल पर गर्म और ठंडे का सेंक करें। इस उपचार को दिन में दो बार लिया जा सकता है।
– आप चाहें तो अपने पैरों को गुनगुने पानी में एक चम्मच इप्सम सॉल्ट और सुगंधित एसेंशियल ऑयल्स, जैसे बेसिल, यूकेलिप्टस, लेवेंडर, जिंजर, लेमन ग्रास, जुनिपर बेरी, रोज़मेरी, की 2-3 बूंदें डालकर डुबो सकते हैं।
यदि हम अरोमा थैरेपी के उपचारों को अपनाते हैं तो हमें निश्चित रूप से उससे परिणाम मिलेंगे। इस तरह के जोड़ों के दर्द में अरोमा थैरेपी सबसे ज्यादा प्रभावी होती है। अब, हम जानेंगे कि अरोमा थैरेपी में एसेंशियल ऑयल्स की क्या भूमिका होती है और क्योें ये जोड़ों के दर्द में इतने प्रभावी होते हैं। अरोमा ऑयल राहत पाने के लिये सबसे प्रभावी चीज है; इसे गरम और ठंडे दोनों स्थितियों में प्रयोग किया जा सकता है। इन तेलों में पिपरमेंट, कपूर, आदि हैं, ये त्वचा की नसों में प्रतिक्रिया करती है और इसी समय मस्तिष्क संवेदनशीलता को उत्प्रेरित करता है। इन तेलों की सबसे महत्वपूर्ण भूमिका यह होती है कि ये जल्दी गर्म हो जाते हैं और त्वचा पर लंबे समय तक बने रहते हैं। अरोमा ऑयल्स अत्यधिक सुगंधित होते हैं, जोकि पंखुड़ियों, तनों, जड़ों और पौधों के अन्य हिस्सों में पाये जाते हैं। ऐसा लगता है कि एसेंशियल ऑयल्स चमत्कार कर सकते हैं, यह प्रभावित हिस्से के रक्त संचार को बेहतर बनाते हैं और सूजन वाली जगह को कम करते हैं। जोड़ों के दर्द के लिये जिन अरोमा ऑयल्स का प्रयोग किया जा सकता है :-
– पिपरमेंट ऑयल, इस ऑयल की 5-8 बूंदों को 2 चम्मच गुनगुने नारियल तेल में मिलाकर तुरंत इस्तेमाल योग्य बनायें। आप नारियल तेल की जगह कोई और तेल भी प्रयोग कर सकते हैं।
– यूकेलिप्टस ऑयल, इस तेल को कैरियर ऑयल के साथ मिलाकर प्रभावित हिस्से पर मसाज करें।
– जिंजर ऑयल, इस कैरियर ऑयल का मिश्रण तैयार करें और उसे प्रभावित हिस्से पर लगायें। आप इस ऑयल को लेवेंडर और लेमनग्रास ऑयल्स के साथ भी मिला सकते हैं।
– लेवेंडर ऑयल, इस ऑयल को सीधे प्रभावित हिस्से पर लगायें, इसमें अत्यधिक अरोमा का अहसास होता है, जिससे दर्द को दूर करने में मदद मिलती है। इस तेल को हमेशा गोलाकर में मसाज करें।
– कायेने पेपर ऑयल, इस ऑयल की कुछ बूंदों को नारियल तेल के साथ मिलायें और कुछ हफ्तों के लिये दिन में 2-3 बार लगायें।
– लेमनग्रास ऑयल, ज्यादा राहत पाने के लिये इस ऑयल को अलग-अलग तरीकों से प्रयोग किया जा सकता है। इसके लिये आपको यह करना है कि पानी को उबालें, उसमें कुछ बूंदें लेमनग्रास की डालें और प्रभावित हिस्से में इसकी भाप लें।
– लोबान तेल, इस तेल को ऑलिव ऑयल के साथ मिलायें और सूजन वाले हिस्से में इस मिश्रण को लगायें।
– रोज़मेरी ऑयल, इस तेल को प्रभावित हिस्से पर लगायें, यह तेल रोज़मेरिनिक एसिड से युक्त होता है, जोकि मुख्य रूप से दर्द को कम करता है।
– जुनिपर तेल, इस ऑयल की कुछ बूंदों को लोशन या क्रीम में मिलाकर हर दिन प्रयोग कर सकते हैं।
– क्लोव एसेंशियल ऑयल, इस तेल को जोजोबा ऑयल के साथ मिलाकर मिश्रण तैयार करें और प्रभावित हिस्से पर इस मिश्रण को लगायें।
अरोमा ऑयल्स प्रभावित जोड़ों के दर्द के लिये एक उपाय हो सकता है। अरोमा ऑयल्स में जड़ी-बूटी/प्राकृतिक तत्व होते हैं, जोकि दर्द को कम करते हैं। अध्ययनों में यह बात सामने आई है कि जोड़ों के दर्द का पारंपरिक तरीका अस्थायी होता है; आपको सामान्य दवाओं से कुछ दिनों के लिये आराम मिल सकता है, दवा का प्रभाव खत्म होते ही आपको दोबारा दर्द का सामना करना पड़ेगा। लेकिन अरोमा ऑयल्स के मामले में, आपको हमेशा के लिये आराम मिल जायेगा, यदि आप इसका सही तरीके से इस्तेमाल करते हैं।
डॉ. नरेश अरोड़ा
लेखक, चेस अरोमाथैरेपी कॉस्मैटिक्स के संस्थापक हैं।