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जो प्रेगनेंट ही नहीं हुई उसका भी अबॉर्शन, जब डॉक्टर बन जाते हैं लुटेरे

dissenting-diagnosis_1463558111यूं तो हम डॉक्टर को एक मसीहा, एक भगवान का दर्जा देते हैं, लेकिन क्या होगा अगर ये भगवान ही हैवान बन जाए। हाल ही में पुणे के दो डॉक्टरों ने एक किताब लिखी है, जिसमें इसी बात का खुलासा किया गया है कि कैसे कुछ डॉक्टर अपना भगवान धर्म न निभाकर हैवानियत करने पर उतारू हो जाते हैं।
 

पुणे के गायनाकॉलोजिस्ट डॉक्टर अरुण गद्रे और फिजिशयन डॉक्टर अभय शुक्ला ने डिस्सेंटिंग डायग्नोसिस नाम से एक ऐसी ही किताब लिखी है। इस किताब में उन्होंने बताया है कि कैसे डॉक्टर लोगों को लूटते हैं। मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया पर भी इस किताब में सवाल उठाए गए हैं। हालांकि, काउंसिल ने इस किताब का स्वागत करते हुए माना है कि कुछ डॉक्टर अपने स्वार्थ के लिए ऐसा घिनौना का करते हैं।

किताब में खुलासा किया गया है कि किस तरह से महज टारगेट पूरा करने के लिए जरूरत ना होने पर भी डॉक्टर मरीजों का ऑपरेशन कर देते हैं। किताब में बताया गया है कि कैसे डॉक्टर और लैब की साठ-गांठ से लोगों को लूटा जाता है। इस बात का भी खुलासा किया गया है कि जो नमूने जांच के लिए लैब के द्वारा लिए जाते हैं, उनमें से बहुत से नमूने बिना जांच के ही फेंक दिए जाते हैं।

इस किताब को लिखने के लिए पुणे के दोनों डॉक्टरों ने 6 राज्यों के 78 सरकारी और निजी डॉक्टरों से बातचीत की। ये डॉक्टर पुणे, मुंबई, चेन्नई, बेंगलुरु, कोलकाता और दिल्ली के हैं। किताब में बताया गया है कि कैसे डॉक्टर छोटी सी बीमारी को भी बहुत बड़ा बताकर मरीजों से पैसे ऐंठते हैं। इतना ही नहीं, किताब में इस बात का भी खुलासा है कि बिना गर्भवती हुई ही महिलाओं का गर्भपात कराने का गोरखधंधा कैसे चलता है।

किताब में एक उदाहरण भी दिया गया है कि कैसे एक मामूली किडनी के इलाज के लिए मोटी रकम न ऐंठने पर अस्पताल प्रशासन ने डॉक्टर को फटकार लगाई, जिसके चलते उस वरिष्ठ सर्जन को इस्तीफा भी देना पड़ा।

 
 

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