ज्ञान भंडार

ज्ञान- विज्ञान : आनुवांशिकी मानव के वंशानुगत गुणों को जानें

slide_3_57d25b2813986जीवन की श्रृंखला माता -पिता से पीढ़ी–दर–पीढ़ी आसानी से संचरित होने वाले मौलिक गुण ‘आनुवांशिक गुण’ कहलाते हैं और आनुवांशिक गुणों के संचरण की प्रक्रिया एवं उसके कारणों का अध्ययन को ‘आनुवांशिकी’ कहा जाता है. ग्रेगर जॉन मेंडल को ‘आनुवांशिकी का जनक’ कहा जाता है. इन्होंने आनुवांशिकता और आनुवांशिक सिद्धांत का वैज्ञानिक अध्ययन किया था. उनके अध्ययन का तरीका बगीचे की मटर की विभिन्न प्रजातियों व स्पष्ट लक्षणों वाले विरोधी युग्मों के संकरण (Crossbreeding) पर आधारित था.उन्होंने अलगाव (Segregation), प्रभुत्व (Dominance) और स्वतंत्र वर्गीकरण (Independent Assortment) का सिद्धांत दिया, जो आनुवांशिकी के विज्ञान का मौलिक आधार बन गया। जीन (मेंडेल द्वारा दिया गया कारक) गुणसूत्र (Chromosome) का मुख्य घटक है, जो आनुवांशिक गुणों का वहन करता है.

मेंडल का प्रयोग-
मेंडल ने संकरण (Crossbreeding) के माध्यम से मटर के कई पौधों का अध्ययन किया और आनुवांशिकता के आधार पर एक व्यापक सिद्धांत का प्रतिपादन किया, जिसे ‘मेंडल का वंशानुगत सिद्धांत’ (Mendel’s law of Inheritance) कहा जाता है.मेंडल ने बेतरतीब तरीके से मटर की प्रजातियों के सात जोड़ों को चुना. उन्होंने अपने प्रयोग में पाया कि एक जोड़े की आनुवांशिक विशेषता ने दूसरे जोड़े की आनुवांशिक विशेषता को दबा दिया था.पहले जोड़े को ‘प्रभावी’ (Dominant) कहा गया और इसे बड़े अक्षर में लिखा गया, जैसे-लंबाई के लिए ‘T’| दूसरे जोड़े को ‘अप्रभावी’ कहा गया और इसे छोटे अक्षर में लिखा गया, जैसे-बौनेपन के लिए ‘t’ ये आनुवांशिक प्रतीक के रूप में आनुवांशिकता के लिए जिम्मेदार होते है.

Related Articles

Back to top button