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ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जानिए क्यों आता है भूकंप, क्या हैं इसके ज्योतिषीय कारण

वैज्ञानिक धरती के भीतर चट्टानों का टूटना, भू-स्तरों का सरकना व पृथ्वी की आंतरिक सतह का तापमान बढ़ने से गैस बनना व फलस्वरूप ज्वालामुखी फटना आदि को भूकंप आने का कारण मानते हैं।

ज्योतिष को वेदों का नेत्र कहा गया है। ज्योतिष भविष्य के गर्भ क्या है, यह जानने का शास्त्र है। ज्योतिष की उपयोगिता मौसम विज्ञान की तरह स्पष्ट है। परंतु मौसम विज्ञान आकाश में स्थित यंत्रों की सहायता से मात्र कुछ दिन आगे का ही अनुमान लगा पता है।

वहीं भारतीय ज्योतिष शास्त्र एक पंचांग मात्र से वर्षों आगे होने वाले ग्रहण, अमावस्या, पूर्णिमा समेत सभी खगोलीय घटना की गणना को करने व उनका पूर्वानुमान लगाने में सक्षम है। भारतीय ज्योतिष शास्त्रों में भूचाल की भविष्यवाणी के विषय में कई बिंदु दिए गए हैं, जिसके आधार पर भूचाल का पूर्वानुमान लगाया जा सकता है। 

ग्रहण और भूकंप
ग्रहण काल मे कभी भी भूकंप नही आता है। लेकिन सूर्यग्रहण व चंद्रग्रहण काल के बाद आने वाली अमावस्या या पूर्णिमा के सप्ताह के भीतर भूकंप आने की संभावना अधिक रहती है।


भूकंप और समय 
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार दिन के 12:00 बजे से लेकर सूर्यास्त तक और मध्य रात्रि से सूर्योदय के दौरान भूकंप आने का खतरा अधिक होता है। 


वक्री गृह और भूकंप
मुख्य ग्रहों (शनि, बृहस्पति, मंगल) की चाल उल्टी अर्थात वक्री होने की स्थिति मे भूकंप आने की संभावना रहती है।


ग्रहों की गोचर स्थिति और भूकंप
गोचर में शनि, बृहस्पति, मंगल जैसे ग्रहों के साथ ही राहू व चंद्रमा की विशेष स्थिति होना जैसे मंगल व शनि का एक-दूसरे से विपरीत होना, क्रूर ग्रहों का परस्पर केंद्र मे होना, कुंडली का अष्टम भाव कूर ग्रहों की दृष्टि से पीड़ित होना, मंगल व शनि का षडष्टक योग, मंगल व राहु षडष्टक योग व सूर्य व मंगल का षडष्टक योग जैसी गोचरीय स्थिति में भूकंप आने की संभावना रहती है।

माह और भूकंप:
सूर्य के दक्षिणायन होने के दौरान अर्थात दिसम्बर व जनवरी में और सूर्य के उत्तरायण होने के दौरान अर्थात मई व जून के महीनों में भूकंप आते हैं। 

उल्कापिंड और भूकंप
ब्रह्मांड में करोड़ों उल्का पिंड घूम रहे हैं और जब-जब ये उल्का पिंड पृथ्वी या सूर्य के बहुत निकट आ जाते हैं तब भूकंप आने की संभावना होती है। 

इनके अतिरिक्त यूरेनस ग्रह की विशेष स्थिति, क्रूर ग्रहों, वार, नक्षत्र का संयोग भी ऐसी विशेष स्थिति बनाता है जिससे विनाशकारी भूकंप आते हैं। 

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