पलामू। झारखंड के पलामू जिले में पांडू थाना क्षेत्र के कौडिया गांव में कल देर रात भाकपा माओवादियों ने दूसरे नक्सली गुट (टीपीसी) तृतीय प्रस्तुति कमेटी के सदस्यों पर घात लगाकर हमला किया, जिसमें कम से कम चौदह नक्सलियों के मारे जाने की आशंका है। झारखंड के पुलिस महानिदेशक राजीव कुमार ने बताया कि कल देर रात ग्यारह से बारह बजे के बीच पलामू के पांडू थाने और छतरपुर थाने के बीच स्थित कौडिया गांव में भाकपा माओवादियों ने घात लगाकर प्रतिद्वंदी नक्सली गुट ततीय प्रस्तुति कमेटी के सदस्यों पर हमला कर दिया जिसके बाद दोनों गुटों के बीच हुई गोलीबारी में दर्जन भर से अधिक टीपीसी नक्सलियों के मारे जाने की आशंका है। उन्होंने बताया कि वह स्वयं वरिष्ठ अधिकारियों के साथ मौके के लिए रवाना हो चुके हैं और शाम चार बजे तक वहां पहुंच कर घटना की विस्तृत जानकारी देंगे। इस बीच पलामू के पुलिस अधीक्षक वाईएस रमेश के अवकाश पर होने के कारण वहां कार्यभार संभाल रहे पुलिस उपाधीक्षक प्रभात रंजन ने बताया कि कल रात हुई इस घटना में कम से कम 14 नक्सली मारे गये हैं लेकिन अभी पुलिस मौके से उनकी लाश बरामद नहीं कर सकी है। उन्होंने इस बात की पुष्टि की कि यह मुठभेड़ भाकपा माओवादियों और टीपीसी के बीच ही हुई है। पुलिस सूत्रों ने बताया कि मारे गये नक्सलियों की संख्या और बढ़ने की भी आशंका है, क्योंकि स्थानीय ग्रामीणों ने कौडिया गांव में बड़ी संख्या में टीपीसी सदस्यों और उनके नेताओं के टिके होने की पुष्टि की है। समझा जाता है कि माओवादियों ने टीपीसी से बदला लेने की नीयत से ही कल रात का हमला किया, क्योंकि लगभग एक वर्ष पूर्व ही टीपीसी नक्सलियों ने माओवादियों पर हमला कर उनके शीर्ष नेताओं समेत 11 की हत्या कर दी थी, जिनमें बिहार-झारखंड विशेष एरिया कमेटी के वरिष्ठ सदस्य लवलेश यादव भी शामिल था। पुलिस सूत्रों ने बताया कि मुठभेड़ स्थल से मिली सूचना के अनुसार मुठभेड़ में बड़ी मात्रा में हथियार और गोला बारूद के इस्तेमाल की आशंका है। टीपीसी का गठन माओवादियों के संगठन से बाहर निकले लोगों ने ही किया था। झारखंड में माओवादियों के बाद टीपीसी और पीएलएफआई का सबसे ज्यादा प्रभाव है। माना जाता है कि टीपीसी को पूर्व में पुलिस का संरक्षण प्राप्त था और माओवादियों के खिलाफ अभियान में पुलिस बार-बार टीपीसी की मदद लेती रही है।