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झारखंड हाईकोर्ट का फैसला, रांची-टाटा बिजली फ्रेंचाइजी रद्द करने का आदेश निरस्त
रांची. हाईकोर्ट ने रांची और जमशेदपुर में बिजली फ्रेंचाइजी रद्द करने के राज्य ऊर्जा विकास निगम के आदेश को निरस्त कर दिया है। जस्टिस रंगन मुखोपाध्याय की अदालत ने सीईएससी और टाटा पावर की याचिका पर गुरुवार को यह फैसला सुनाया। कोर्ट ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था। अब दोनों शहरों में बिजली व्यवस्था फ्रेंचाइजी को देने का रास्ता साफ हो गया है।
झारखंड राज्य विद्युत बोर्ड ने वर्ष 2012 में रांची और जमशेदपुर की बिजली वितरण व्यवस्था निजी हाथों में देने का फैसला लिया था। रांची के लिए सीईएससी और जमशेदपुर के लिए टाटा पावर को फ्रेंचाइजी नियुक्त किया गया था। बोर्ड ने दोनों कंपनियों से करार कर लिया था। लेकिन, वर्ष 2014 में तत्कालीन ऊर्जा मंत्री राजेंद्र सिंह के निर्देश पर झारखंड राज्य ऊर्जा विकास निगम ने फ्रेंचाइजी के करार को रद्द कर दिया। इस फैसले को सीईएससी और टाटा पावर ने हाईकोर्ट में चुनौती दी। निगम की कार्रवाई को अनुचित बताते हुए करार रद्द किए जाने संबंधी आदेश को निरस्त करने की मांग की थी। कोर्ट ने ऊर्जा विकास निगम और कंपनियों की दलीलें सुनने के बाद निगम की कार्रवाई को अनुचित माना और कंपनियों के पक्ष में फैसला सुनाया।
बिजली कर्मचारियों ने किया था विरोध
रांची और जमशेदपुर में बिजली वितरण व्यवस्था निजी हाथों में देने का बिजली कर्मचारियों और अधिकारियों ने विरोध जताया था। इनका कहना था कि दोनों कंपनियों को गलत तरीके से फ्रेंचाइजी दी जा रही है। इससे निगम को सालाना 26 हजार करोड़ रुपए का नुकसान होगा। निगम महंगी बिजली खरीदेगी और इन्हें सस्ते दर पर देगी।