क्रिसमस और नए साल का जश्न नेचुरल ब्यूटी के साथ मनाना है, तो नैनीताल की पहाड़ियों और झीलों की खूबसूरती से बेस्ट ऑप्शन नहीं हो सकता। नैनीताल को झीलों का नगर कहा जाता है। यहां कई प्रसिद्ध झीलें हैं। यहां कई प्राकृतिक झीलें ऐसी हैं जिनकी मान्यता को मानकर लोग हर साल आते हैं। यहां का सुहाना मौसम गर्मी से झल्लाए पर्यटकों को सकून प्रदान करता है। यूं तो आदर्श मौसम अप्रैल से जुलाई तक का है लेकिन सर्दियों में बर्फबारी का मजा लेना है तो दिसंबर में जा सकते हैं।
घूमने फिरने या फिर दोस्तों के साथ घूमने का प्लान हो तो नैनीताल का नाम सबसे पहले आता है। मौसम चाहे गर्मी हो या हो सर्दी, नैनीताल की प्राकृतिक खूबसूरती लोगों को अपने तरफ खींच लाती है। सर्दी के मौसम में नैनीताल चारों तरफ से बर्फ से ढ़क जाता है। इसका लुत्फ उठाने दूर -दराज से सैलानी आते हैं। विंटर में इस खूबसूरती को देखने के लिए आएं लोग यहां से जाने का नाम नहीं लेते हैं। एक समय ऐसा था जब यहां 60 से ज्यादा झील होती थीं, जिसकी खूबसूरती को देख लोग मंत्र-मुग्ध हो जाते हैं। यहां सैलानी एक बार घूमने आते हैं और पूरे साल यहां की प्राकृतिक खूबसूरती का गुणगान गाते है।दिल्ली एनसीआर में रहने वाले लोग अपनी गाड़ी से जा सकते हैं। बस से किराया महज 600 से 800 रुपये आएगा। यहां रहने और खाने पीने का खर्च भी बहुत कम पैसे में हो जाएगा।
यहां रहने की व्यवस्था भी सही है। 500 से 1000 रुपये में रहने के लिए अच्छा होटल मिल जाता है। एक समय का खाना भी मिल जाता है। होटल से बाहर खाने की व्यवस्था भी अच्छी होती है। अगर आप अपनी गाड़ी से नैनीताल जा रहे हैं तो कुछ सावधानियां जरूर बरतें..शराब पीकर गाड़ी चलाना सख्त मना है। यहां गाड़ी में एफएम या म्यूजिक चलाना मना है। यहां चप्पल पहनकर ड्राइविंग करने पर भी चालान हो सकता है। अगर मॉल रोड़ जाना है तो पहले से टैक्सी की बुकिंग करा लें। मौसम कोई भी हो वहां के लिए गर्म कपड़ा जरूर लेकर जाएं।
नैनीताल दो भागों में बंटा हुआ है। तल्लीताल और पल्लीताल इसके ऊपरे हिस्से को पल्लीताल कहते हैं और निचले भाग को तल्लीताल कहते हैं। यहां पल्लीताल पर नैनादेवी मंदिर और घूमने के लिए खुले मैदान है जहां लोग सैर-सपाटे करते नजर आते हैं। तल्लीताल और पल्लीताल को जोड़ने वाली जगह को मॉल रोड़ कहते हैं। यह शॉपिंग के लिए भी बहुत अच्छी जगह हैं।
कैसे जाएं
नैनीताल के लिए दिल्ली से 24 घंटों की बस सेवा है। यह दिल्ली से 310 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
रेलवे स्टेशन
काठगोदाम को ‘द गेटवे ऑफ कुमाऊं हिल्स’ के नाम से भी जाना जाता है। यह नैनीताल से 35 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।