टिकट के जुगाड़ में लखनऊ में डाला डेरा
जबतक शीर्ष नेतृत्व में विवाद की स्थिति खत्म नहीं हो जाती है तबतक टिकट को लेकर संशय की स्थिति बनी रहेगी। बसपा को छोड़ अन्य राजनीतिक दलों में टिकट के दावेदार शीर्ष नेताओं की परिक्रमा करने में जुटे हैं।बसपा के घोषित सभी प्रत्याशी जोरशोर से तैयारियों में जुटे ःिवस की तैयारियों को लेकर बहुजन समाज पार्टी पहले ही अपने प्रत्याशियों की घोषणा कर चुकी थी। हालांकि बसपा सुप्रीमो ने कुछ सीटों पर अपने उम्मीदवारों में बदलाव भी किया। रविवार को घोषित पार्टी की तीसरी लिस्ट में सदर से भूपेंद्र सिंह मुन्ना, मुबारकपुर से शाहआलम गुड्डू जमाली, सगड़ी वंदना सिंह, गोपालपुर वसीम अहमद, अतरौलिया से अखंड प्रताप सिंह, फूलपुर से अबुल कैश, निजामाबाद से चंद्रदेव राम यादव करैली, दीदारगंज से सुखदेव राजभर, लालगंज से आजाद अरिमर्दन और मेंहनगर से विद्या चौधरी को प्रत्याशी घोषित किया है।
सपा के सिर्फ चार प्रत्याशी घोषित, संशय बरकरारः पिछले विधानसभा चुनाव में जनपद की दस में से नौ विधानसभा सीटें जीतने वाली सत्तारूढ़ दल समाजवादी पार्टी ने अभी तक सभी विधानसभा सीटों से प्रत्याशियों की घोषणा नहीं की है। टिकट बंटवारे को लेकर पार्टी के शीर्ष नेतृत्व में उपजे तनाव से पूर्व प्रदेश अध्यक्ष शिवपाल सिंह यादव ने सदर से दुर्गा प्रसाद यादव, मेंहनगर से कल्पनाथ पासवान, दीदारगंज से आदिल शेख और अतरौलिया से संग्राम यादव को प्रत्याशी बनाया था। इसके बाद सपा में उपजे घमासान के चलते अन्य सीटों पर प्रत्याशियों की घोषणा नहीं हो सकी। अबतक के जो घोषित प्रत्याशी हैं उनके टिकट को लेकर भी कुछ स्पष्ट कहा नहीं जा सकता है। पार्टी में दो फाड़ होने के कारण कभी भी कोई परिवर्तन होने की आशंका जताई जा रही है। ऐसे में कौन नेता पार्टी के सिंबल पर चुनाव लड़ेगा, इस बारे में कुछ भी कहना संभव नहीं है।
मकर संक्रांति के बाद भाजपा प्रत्याशियों की सूची संभव ः भारतीय जनता पार्टी ने अभी तक जनपद में एक भी प्रत्याशी की घोषणा नहीं की है। एक-एक विधानसभा क्षेत्र में कई कई प्रत्याशी चुनाव लड़ने को आतुर हैं। पार्टी की ओर से मकर संक्रांति के बाद प्रत्याशियों की सूची जारी करने की संभावना है। टिकट के लिए चुनाव लड़ने के इच्छुक लोग लखनऊ में डेरा डाले हुए हैं। कई लोग तो लखनऊ से लेकर दिल्ली तक टिकट के लिए चक्कर लगा रहे हैं। पार्टी किसे टिकट देगी यह तो कहना मुश्किल है लेकिन हर कोई अपना टिकट पक्का मानकर चल रहा है। पार्टी में एक-एक सीट के लिए कई उम्मीदवार होने से विधानसभा चुनाव में पार्टी को भीतरघात का भी सामना करना पड़ सकता है।
सपा से गठजोड़ की अटकलों ने बढ़ाई धुकधुकी ः कांग्रेस पार्टी ने इस बार सवर्ण कार्ड के जरिए अपना चुनावी गणित बनाने में जुटी है। इससे यह संभावना जताई जा रही है कि पार्टी से जिले में सबसे ज्यादा सवर्ण प्रत्याशियों को टिकट मिल सकता है। पार्टी की जिला कार्यकारिणी ने चुनाव लड़ने के इच्छुक प्रत्याशियों की सूची को शीर्ष नेतृत्व को भेज दिया है। वहीं पार्टी के सपा से गठजोड़ की आ रही खबरों से चुनाव लड़ने के इच्छुक प्रत्याशियों की धड़कनें बढ़ गई हैं। क्योंकि अगर गठबंधन होता है तो जिले में पिछले विधानसभा चुनाव में सपा की दमदार उपस्थिति को देखते हुए जनपद में उसके ही प्रत्याशियों के चुनाव लड़ने की संभावना ज्यादा होगी। ऐसे में कांग्रेस के चुनाव चिह्न पर मैदान में उतरने का सपना देखने वाले लोगों के अरमानों पर पानी फिर जाएगा।