राष्ट्रीय
टिकट के बाद भी अपनी सीट पर नहीं बैठ पाए यात्री, रेलवे पर लगा जुर्माना
कर्नाटक के मैसूर की एक उपभोक्ता अदालत ने भारतीय रेलवे को एक परिवार को 37 हजार रुपये हर्जाना देने का आदेश दिया है। इस तीन सदस्यीय परिवार की आरक्षित सीटों पर दूसरे यात्रियों ने कब्जा कर लिया था जिससे उन्हें टिकट होने के बाद भी करीब 33 घंटे तक बेहद कष्टमय यात्रा करनी पड़ी। इस यात्रा के लिए परिवार के प्रत्येक सदस्य ने 740 रुपये का टिकट लिया था।
अदालत ने जुर्माना लगाने के साथ-साथ ड्यूटी पर तैनात टीटीई और आरपीएफ कर्मचारियों की कड़ी आलोचना की जो यात्रियों की मदद करने में असफल रहे। बताया जा रहा है कि मैसूर के रहने वाले सिद्धार्थ लायोउत और उनके परिवार के दो अन्य सदस्यों ने जयपुर-मैसूर सुपरफास्ट ट्रेन का 25 मई 2017 का टिकट लिया जो उनके लिए बेहद कष्टकारी साबित हुआ।
उज्जैन से बैठने के बाद उन्होंने पाया कि जिस एस5 बोगी में उनकी सीटें थीं, उस पर दूसरे लोगों ने कब्जा कर लिया है। पूरी बोगी भी अनारक्षित लोगों से भरी है। करीब 33 घंटे की यात्रा के दौरान उन्होंने कई बार अपनी सीटें वापस पानी चाहीं लेकिन वह असफल रहे। यहां तक कि उन्होंने टीटीई और आरपीएफ से भी शिकायत की लेकिन उन्होंने कोई कार्रवाई नहीं की।
विजेश ने भारतीय रेलवे की शिकायत के हर साधन का इस्तेमाल किया लेकिन उन्हें कोई सहायता नहीं मिली। उन्होंने भोपाल और तेलंगाना के काजीपेट में स्टेशन पर शिकायत दर्ज कराई लेकिन कोई भी रेल कर्मचारी उनकी मदद को नहीं आया। रेलवे की इस घटिया सेवा से परेशान विजेश ने उपभोक्ता अदालत का दरवाजा खटखटाया।