ज्ञान भंडार
टीचर की याचिका पर कोर्ट का फैसला, पेंशन नहीं तो जब्त करो स्कूल की संपत्ति
पेंशन के इंतजार में गुजर गईं पत्नी
देसराज ने वर्ष 1943 से 1971 तक इंदौरा स्कूल में सेवाएं दीं, जो उस वक्त कमेटी के अधीन था। वर्ष 1971 के बाद यह स्कूल सरकार के अधीन हो गया तो देसराज को यहां बतौर जेबीटी अध्यापक तैनात किया गया। लेकिन उनकी सेवानिवृत्ति के बाद उन्हें कोई भी पेंशन या अन्य लाभ शिक्षा विभाग ने नहीं दिए। देस राज की मौत के बाद उनकी पत्नी ने वर्ष 2010 में पेंशन के लिए इंदौरा अदालत में केस दायर किया। कोर्ट ने 29 मार्च 2012 को शिक्षा विभाग को देस राज की पेंशन लगाने के आदेश जारी किए।कोर्ट ने आदेश में कहा था कि वर्ष 1975 से 1985 तक देस राज को पूरा पेंशन लाभ और भत्ते दिए जाएं और 1985 से प्रार्थी देस राज की पत्नी जयवंती देवी को पारिवारिक पेंशन दी जाए। बावजूद इसके विभाग ने पेंशन रिलीज नहीं की। इस बीच पेंशन के इंतजार में देस राज की पत्नी जयवंती देवी वर्ष 2012 में गुजर गईं।
बेटे ने जारी रखी माता-पिता के हक की लड़ाई
देस राज और उनकी पत्नी जयवंती देवी की मौत के बाद बेटे मास्टर कुसुम कुमार ने माता-पिता के हक को पाने के लिए कोर्ट के माध्यम से निरंतर लड़ाई जारी रखी। कुसुम ने साल 2014 में इंदौरा अदालत के साल 2012 के फैसले की तामील करवाने के लिए पुन: अदालत में शरण ली। कोर्ट में इस केस के दौरान 6 अप्रैल 2015 को इंदौरा स्कूल की प्रिंसिपल प्रभाती देवी ने बयान दर्ज करवाए कि विभाग शीघ्र ही 2012 के फैसले के अनुसार पेंशन लाभ दे देगा। लेकिन इसके बाद भी देस राज के परिवार को कोई भी पेंशन लाभ न देकर सेशन कोर्ट के समक्ष अपील कर दी। 24 सितंबर को इंदौरा में सेशन अदालत में न्यायाधीश जीएस बाली ने स्कूल शिक्षा विभाग की अपील को खारिज कर दिया। इसके उपरांत मंगलवार को इंदौरा में प्रथम श्रेणी न्यायाधीश निरंजन सिंह की अदालत ने स्कूल शिक्षा विभाग की इंदौरा स्थित संपत्ति को केस में अटैच करने के आदेश जारी कर दिए हैं कि 23 मार्च, 2017 को आगामी तारीख तक याचिकाकर्त्ता को सभी पैंशन लाभ दे दिए जाएं अन्यथा संपत्ति को नीलाम कर दिया जाएगा।