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टूटने के कगार पर सपा-बसपा गठबंधन, मायावती ने 11 सीटों पर अकेले उपचुनाव लड़ने के दिए संकेत

लोकसभा चुनाव में मुंह की खाने के बाद गठबंधन का भविष्य अधर में जाता दिख रहा है. सोमवार को बहुजन समाज पार्टी की प्रमुख मायावती ने दिल्ली में समीक्षा बैठक की और यहां जो उन्होंने कहा उससे संकेत मिल रहे हैं वह गठबंधन के लिए ठीक नहीं हैं. मायावती ने कहा कि गठबंधन होने के बाद जैसे नतीजों की उम्मीद थी वह नहीं मिल पाए हैं. मायावती ने दो टूक कह दिया है कि वह अब अकेले दम पर चुनाव लड़ेगी.

मायावती की ओर से कहा गया है कि आगे की रणनीति पर काम करने से पहले वह गठबंधन की समीक्षा करेंगी. मायावती के इस रुख के बाद राजनीतिक गलियारों में सवाल उठने लगे हैं कि क्या समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी का गठबंधन 2022 में होने वाले विधानसभा चुनाव तक टिक पाएगा.

बता दें कि लोकसभा चुनाव से पहले और प्रचार के दौरान सपा-बसपा दोनों ही 50 से अधिक लोकसभा सीटें जीतने का दावा कर रहे थे. लेकिन नतीजे पूरी तरह से उलट साबित हुए, गठबंधन सिर्फ 15 सीटों पर सिमट कर रह गया. हालांकि, जो बसपा 2014 में 0 सीटों पर सिमट गई थी अब वह दस सीटों तक पहुंच गई है.

क्यों फेल हो गया गठबंधन?

चुनाव से पहले तो दावा था कि सपा-बसपा ने जो जातीय गणित फिट किया है वह भाजपा के लिए हानिकारक होगा. लेकिन चुनाव नतीजों में साफ हुआ कि बसपा का वोट प्रतिशत जस का तस रहा तो वहीं समाजवादी पार्टी का वोट प्रतिशत भी गिर गया. नतीजों से साफ हुआ कि जो जाति गणित का फॉर्मूला लगाया गया वो फिट नहीं हुआ और भारतीय जनता पार्टी को जातिवादी से अलग हटकर वोट मिला.

यही कारण रहा है कि बीजेपी अकेले दम पर पूरे यूपी में 50 फीसदी के करीब वोट और 64 सीटों पर जीत दर्ज कर पाई तो वहीं सपा-बसपा मिलकर 15 सीटें और 40 फीसदी के आसपास वोट शेयर पर ही सिमट गए.

विधानसभा चुनाव तक रहेगा साथ?

अब हर किसी की नज़र इस बात पर है कि क्या ये गठबंधन 2022 तक टिक पाएगा. क्योंकि चुनाव से पहले अखिलेश ने कहा था कि वह मायावती को प्रधानमंत्री बनाने के लिए मेहनत कर रहे हैं और मायावती भी मुझे मुख्यमंत्री बनाने के लिए तैयार हैं. लेकिन मायावती का सपना तो पूरा नहीं हो पाया, अब देखना होगा कि क्या अखिलेश की बात कहां तक चल पाती है.

क्योंकि इस बैठक में मायावती ने दो टूक कहा कि शिवपाल यादव की वजह से यादव वोट बैंक बसपा को नहीं मिल पाया है. यहां तक कि उन्होंने कह दिया है कि बसपा अब विधानसभा उपचुनाव में भी हाथ आजमाएगी जो कम ही देखने को मिलता है. अगर बसपा विधानसभा उपचुनाव में अकेले उतरती है तो 2022 का चुनाव भी वह अकेले दम पर लड़ सकती है और एक बार फिर सपा-बसपा आमने-सामने आ सकते हैं.

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