अन्तर्राष्ट्रीय

टेरर फाइनेंसिंग ब्लैकलिस्ट से बचने के लिए पाकिस्तान चाहता है चीन की मदद


इस्लामाबाद : आर्थिक संकट से जूझ रहे पाकिस्तान की मुसीबतें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। अब उसे डर है कि टेरर फाइनेंसिंग ब्लैकलिस्ट में उसका नाम शामिल हो सकता है। यदि ऐसा होता है, तो उसे मिलने वाली आर्थिक मदद पूरी तरह से बंद हो जाएगी। लिहाजा, उसने अपने सदाबहार दोस्त चीन से एक बार फिर मदद की गुहार लगाई है। इस मामले से जुड़े जानकारों ने बताया कि पाकिस्तान ने चीन और दो अन्य विकासशील देशों से सख्त वित्तीय प्रतिबंधों से बचने के लिए समर्थन देने की अपील की है। बताया जा रहा है कि ग्लोबल एंटी मनी लॉन्ड्रिंग और काउंटर टेरेरिज्म फाइनेंसिंग स्टैंडर्ड्स को पूरा करने की समय सीमा पाकिस्तान के हाथ से निकलती जा रही है।

पाक सरकार को उम्मीद है कि अक्टूबर में अंतिम समीक्षा से पहले पेरिस स्थित फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स द्वारा निर्धारित 27 एक्शन आइटम्स का पालन करने में वह विफल रहेगी। इस स्थिति में कुछ सदस्य देश, खासतौर पर चिर प्रतिद्वंद्वी भारत, उसका नाम संगठन की ब्लैकलिस्ट में डालने के लिए कदम उठा सकता है। यदि ऐसा होता है, तो पाकिस्तान को मिलने वाली आर्थिक मदद कम हो जाएगी और इसका असर अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष से मिलने वाले 6 अरब डॉलर के कार्यक्रम पर भी पड़ेगा। इसकी वजह से पाकिस्तान के सामने बकाया भुगतान का संकट खड़ा हो जाएगा। दरअसल, अमेरिका और अन्य यूरोपीय देशों ने आतंकवादियों से निपटने के लिए और आतंकवादी समूहों को वित्तपोषण बंद करने के लिए एक अभियान चलाया था। इसके बाद ने पाकिस्तान को पिछले साल ग्रे मॉनीटरिंग लिस्ट में डाल दिया था। तब से पाकिस्तान को 27 उपायों की एक सूची का पालन करने के लिए कहा गया है। इसमें आतंक के वित्तपोषण के जोखिमों की पहचान करना और उनकी निगरानी करना और अवैध मुद्रा पर नियंत्रण को बढ़ाना शामिल है। ऐसा नहीं करने पर वह ईरान और उत्तर कोरिया की तरह ब्लैकलिस्ट में शामिल हो सकता है।

Related Articles

Back to top button