ट्रंप का भूकंप : चौकन्ना रहे भारत
अमेरिका ने अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति की घोषणा से अंतरराष्ट्रीय राजनीति में भूकंप ला दिया है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अपने भाषण में इस रणनीति का प्रतिपादन करते हुए भारत को एक उदीयमान विश्व-शक्ति कहा है और भारत-प्रशांत क्षेत्र में उसकी विशिष्ट भूमिका को सराहा है। एशियाई देशों की संप्रभुता का उसे संरक्षक भी कहा है। 65 पृष्ठ के इस एतिहासिक दस्तावेज में भारत का नाम आठ बार लिया गया है। भारत और अमेरिका की सामरिक भागीदारी पर भी काफी जोर दिया गया है तथा भारत, जापान और आस्ट्रेलिया के साथ मिलकर अमेरिका ऐसा गठबंधन भी तैयार करना चाहता है, जो रुस और चीन की दादागीरी का मुकाबला कर सके। भारत के महत्व को यों तो 1971 में रिचर्ड निक्सन, फिर जार्ज बुश, क्लिंटन और ओबामा ने बराबर स्वीकार किया था लेकिन ट्रंप ने तो भारत पर अपने शब्दों का खजाना ही लुटा दिया है। ट्रंप की इस अदा पर कौन भारतीय फिदा नहीं हो जाएगा ? भारतीयों को यह भी अच्छा लगेगा कि ट्रंप ने इस रणनीति-दस्तावेज़ में पाकिस्तान की जमकर खिंचाई की है। उन्होंने कहा है कि अमेरिका पाकिस्तान को आतंकवाद से लड़ने के लिए 33 अरब डाॅलर अब तक दे चुका है लेकिन अब वह इसके खिलाफ ठोस कार्रवाई चाहता है। वह कोई बहानेबाजी नहीं सुनना चाहता है। उन्होंने पाकिस्तान की परमाणु-नीति पर भी उंगली उठाई है।
इस तरह की खरी-खरी बातों से भारत बहुत खुश है और पाकिस्तान नाराज़ लेकिन ट्रंप का क्या भरोसा ? वे पल में तोला हैं और पल में माशा हो जाते हैं। मुझे शंका यह है कि उन्होंने यह पैंतरा कहीं इसलिए तो नहीं अपनाया है कि वे रुस और चीन के खिलाफ अपने सामरिक मोर्चे में भारत को भर्ती करना चाहते हैं। इसी दस्तावेज़ पर बोलते हुए उन्होंने नए शीतयुद्ध की घोषणा कर दी है। उन्होंने दो-ढाई दशक पहले खत्म हुए शीतयुद्ध का दुबारा शंखनाद कर दिया है। वे चीन और रुस के द्वारा अमेरिका की शक्ति, संपन्नता और संस्कृति को दी जा रही चुनौती का डटकर मुकाबला करना चाहते हैं। उनकी इस रणनीति की कटु भर्त्सना रुस और चीन ने तो की है, पाकिस्तान भी चुप नहीं रहा है। भारत सरकार उसकी तारीफ करे, यह स्वाभाविक है लेकिन मुझे विश्वास है कि इतिहास के इस नाजुक मुकाम पर भारत सरकार पर्याप्त परिपक्वता का परिचय देगी। वह अपने आप को इस या उस गुट का मोहरा बनाने की बजाय मध्यम मार्ग का अनुसरण करेगी। वह किसी एक गुट का पिछलग्गू बनने की बजाय दोनों गुटों से उत्तम संबंध बनाए रखेगी। ट्रंप के भूकंप में वह भारत को चौकन्ना रखेगी।
(डिस्क्लेमर : इस आलेख में व्यक्त किए गए लेखक के निजी विचार हैं। दस्तक टाइम्स उसके लिए किसी भी प्रकार से उत्तरदायी नहीं है।)