ट्रंप को नोबेल मिलना चाहिए क्योंकि उन्होंने भारत-रूस को…; पूर्व US अधिकारी ने अमेरिकी राष्ट्रपति पर कसा तंज

वॉशिंगटन: भारत–रूस संबंधों पर टिप्पणी करते हुए अमेरिका के पूर्व पेंटागन अधिकारी माइकल रुबिन ने अपने ही राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप पर तंज कसा है। उनका कहना है कि नई दिल्ली में राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को मिली गर्मजोशी और सम्मान का श्रेय रूस को नहीं, बल्कि डोनाल्ड ट्रंप को जाता है, क्योंकि ट्रंप की नीतियों ने भारत और रूस को और करीब ला दिया। रुबिन ने व्यंग्य करते हुए कहा कि इस उपलब्धि के लिए ट्रंप को नोबेल पुरस्कार मिलना चाहिए।
एएनआई से बातचीत में रुबिन ने कहा कि पुतिन की भारत यात्रा मॉस्को के नजरिए से बेहद सफल रही और भारत द्वारा दिया गया सम्मान दुनिया में और कहीं देखने को नहीं मिला। उन्होंने कहा कि भारत और रूस के बीच बढ़ी निकटता का कारण ट्रंप की नीतियां हैं, जिनके चलते दोनों देश स्वाभाविक रूप से एक-दूसरे के करीब आए।
उन्होंने यह भी सवाल उठाया कि पुतिन की यात्रा के दौरान हुए समझौतों में से कितने वास्तविक सहयोग में बदलेंगे और कितने ऐसे हैं जो भारत की उस नाराजगी की उपज हैं, जो हाल के समय में ट्रंप के रुख के कारण विकसित हुई—चाहे वह प्रधानमंत्री मोदी के प्रति उनका व्यवहार हो या भारत के व्यापक हितों के प्रति उदासीनता।
रुबिन के अनुसार अमेरिका में इस घटनाक्रम को लेकर दो बिल्कुल अलग दृष्टिकोण हैं। उनका कहना है कि यदि कोई ट्रंप का समर्थक है, तो वह इसे उनकी नीति की सफलता के रूप में देखेगा; लेकिन यदि वह उन 65 प्रतिशत अमेरिकियों में से है जो ट्रंप को पसंद नहीं करते, तो यह पूरा घटनाक्रम ट्रंप की कूटनीतिक विफलता जैसा प्रतीत होगा। उन्होंने दावा किया कि ट्रंप ने भारत–अमेरिका संबंधों को पीछे धकेल दिया और कई ऐसे निर्णय लिए जिनमें पाकिस्तान, तुर्किये और कतर जैसे देशों की चापलूसी या कथित प्रभाव दिखाई दिया।
रुबिन का कहना है कि वॉशिंगटन के कई विशेषज्ञ इस बात से हैरान हैं कि ट्रंप ने कैसे अमेरिका और भारत के बीच बढ़ती रणनीतिक एकजुटता को कमजोर कर दिया। उनका कहना है कि ट्रंप इसे कभी स्वीकार नहीं करेंगे और भारत–रूस की बढ़ती निकटता को भी अपनी विदेश नीति का परिणाम बताने की कोशिश करेंगे।
पुतिन द्वारा भारत को ऊर्जा की लगातार आपूर्ति के आश्वासन पर बोलते हुए रुबिन ने कहा कि अमेरिका भारत की ऊर्जा जरूरतों और रणनीतिक प्राथमिकताओं को समझने में लगातार असफल रहा है। उन्होंने कहा कि भारतीयों ने नरेंद्र मोदी को इसलिए चुना है कि वे भारत के हितों की रक्षा करें। भारत दुनिया का सबसे अधिक आबादी वाला देश है, जल्द ही तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने वाला है, और उसकी ऊर्जा जरूरतें विशाल हैं। ऐसे में अमेरिका को भारत को उपदेश देना बंद करना चाहिए।
उन्होंने यह भी कहा कि खुद अमेरिका भी तब रूस से ऊर्जा खरीदता है जब उसके पास विकल्प सीमित होते हैं। रुबिन ने पूछा कि यदि अमेरिका नहीं चाहता कि भारत रूसी ऊर्जा खरीदे, तो वह भारत को कम कीमत पर पर्याप्त ईंधन उपलब्ध कराने के लिए क्या कर रहा है? उन्होंने तीखे अंदाज में कहा कि यदि कोई वास्तविक विकल्प उपलब्ध नहीं है, तो चुप रहना ही बेहतर है, क्योंकि भारत को अपनी सुरक्षा और आवश्यकताओं को प्राथमिकता देनी ही पड़ेगी।



