ट्विटर नहीं टैलीग्राम हैआतंकी संगठन आई.एस की जुबान
दस्तक टाइम्स/एजेंसी-
नई दिल्ली :रूस इस समय भले ही आतंकी संगठन आई.एस. को तबाह करने के लिए सीरिया पर आग बरसा रहा हो लेकिन यह खतरनाक संगठन रूस की ही एक मोबाइल मैसेजिंग सर्विस ‘टैलीग्राम’ का भरपूर इस्तेमाल करके अपने काले संदेश फैलाता रहा है। इसी के जरिए भर्ती भी करता रहा है। हाल ही के पैरिस हमले की जिम्मेदारी लेने के लिए भी इस्लामिक स्टेट ने टैलीग्राम का ही सहारा लिया था। टैलीग्राम 2-3 साल पहले ही अस्तित्व में आई और पूरी दुनिया में 6 करोड़ यूजर्स इसका इस्तेमाल कर रहे हैं। टैलीग्राम पर न केवल टैक्स्ट मैसेज बल्कि वीडियो, वॉयस मैसेज शेयर करना बहुत आसान है। इसके जरिए एनक्रिप्टिड मैसेज (गोपनीय) भी आसानी से भेजे जा सकते हैं।इसे ट्विटर, व्हाट्सएप व फेसबुक मैसेंजर का मिक्स भी कह सकते हैं। सितंबर माह में टैलीग्राम द्वारा पेश किए गए एक नए फीचर का तो इस्लामिक स्टेट बेहद प्रयोग कर रहा है। इसी के माध्यम से पैरिस हमले की जिम्मेदारी ली गई थी। एक तरह से टैलीग्राम आई.एस. का माऊथपीस बन गया है।ट्विटर पर जिस तरह से आई.एस. के संदिग्ध अकाऊंट ब्लॉक किए जा रहे हैं, ऐसे में टैलीग्राम ही इस खतरनाक आतंकी संगठन का प्रमुख मंच बन गया है। पिछले महीने मिस्र के ऊपर से गुजर रहे रूसी एयरलाइनर को मार गिराने के लिए भी आई.एस. ने जिम्मा लेने की बात टैलीग्राम के जरिए ही की थी। न्यूयार्क में आतंकवाद निरोधी विश्लेषक एलेक्स कैसिरर ने बताया कि न केवल वीडियो जारी करने के लिए बल्कि आतंकियों की भर्ती के लिए भी इसका इस्तेमाल किया जा रहा है। ट्विटर ने आई.एस. से जुड़े हजारों अकाऊंट बंद किए हैं। रूस के पावेल दुरोव और निकोले दुरोव नामक बंधुओं ने टैलीग्राम को फेसबुक की तरह से विकसित किया था। बाद में दोनों भाई कुछ राजनीतिक विवादों (उनका पुतिन से लफड़ा हो गया था) के चलते रूस छोड़कर बर्लिन चले गए थे। इसके माध्यम से संदेश को किसी भी नंबर पर किसी भी फोन, टैबलेट या कम्प्यूटर पर भेजा जा सकता है। इसमें ग्रुप मैसेजिंग का फीचर भी है। इसमें कहीं बाहर से हस्तक्षेप भी नहीं किया जा सकता क्योंकि इसमें कम्प्यूटिंग क्लाऊड का प्रयोग नहीं किया जाता है। दुरोव बंधुओं के बारे में कहा जाता है कि वे अमरीका के पूर्व नैशनल सिक्योरिटी एजैंसी कांट्रैक्टर एडवर्ड स्नोडेन से प्रेरित रहे हैं।