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ठगी करने वोले 24 लोगों को पुलिस ने किया गिरफ़्तार

नई दिल्ली: इस महीने एक अहम कार्रवाई में दिल्ली पुलिस ने 24 लोगों को गिरफ्तार किया, जो खुद को माइक्रोसॉफ्ट टेक सपॉर्ट स्टाफ बताकर अमेरिकी नागरिकों से ठगी कर रहे थे। यह माइक्रोसॉफ्ट के रेडमॉन्ड (वॉशिंगटन, अमेरिका) स्थित डिजिटल क्राइम यूनिट (DCU) के रियल टाइम मॉनिटरिंग के बिना संभव नहीं था। यहां क्लाउड, बिग डेटा, मशीन लर्निंग और बिजनस इंटेलिजेंस की मदद से प्रॉडक्ट्स की क्वॉलिटी और सर्विस सुधार के साथ मालवेयर से मुकाबला और डिजिटल रिस्क घटाने का काम किया जा रहा है। रियल टाइम डेटा एनालिटिक्स और अहम जानकारियों को कानून लागू करने वाली एजेंसियों के साथ साझा करने से दिल्ली में विभिन्न स्थानों पर चल रही 10 कंपनियों का खुलासा हुआ जो कॉल सेंटर के जरिए माइक्रोसॉफ्ट विंडोज यूजर्स को निशाना बना रही थीं। डिजिटल क्राइम यूनिट की डायरेक्टर (शेयर्ड सर्विसेज) शिल्पा ब्रैट ने कहा, ‘बड़े स्तर के टेक सपॉर्ट फ्रॉड का खुलासा करने में रियल टाइम मॉनिटरिंग की मदद मिली है। यह पूरा ऑपरेशन साइबर क्राइम के खिलाफ लड़ाई को प्रोत्साहित करने वाला है।’ उन्होंने आगे कहा, ‘दोषियों पर शिकंजे के लिए हमने भारत और सिंगापुर के (DCU) स्टाफ के साथ मिलकर काम किया। अभी ऐसे और साइबर अपराधी हैं हम उनके नापाक मंसूबों को विफल करेंगे।’ यूजर के सिस्टम पर मालवेयर अटैक का पॉप अप दिखाने के बाद साइबर अपराधी खुद को माइक्रोसॉफ्ट टेक सपॉर्ट स्टाफ के रूप में पेश करते थे। वायरस को दूर करने के लिए वह 100 से 500 डॉलर तक की वसूली करते थे। दिल्ली पुलिस के मुताबिक सबूत के तौर पर, चेक, कॉल रिकॉर्डिंग, वर्चुअल डायलर्स, माइक्रोसॉफ्ट टेक सपॉर्ट ट्रेनिंग मटीरियल, कॉल लॉग ट्रांसक्रिप्ट, पेमेंट गेटवे रेकॉर्ड और सर्वर आदि जब्त किए गए हैं। माइक्रोसॉफ्ट के एक सर्वे के मुताबिक, पिछले साल भारत में 68 फीसदी यूजर्स टेक सपॉर्ट स्कैम के प्रभाव में आए और इनमें से 14 फीसदी ने धन भी गंवाया। यह समस्या केवल भारत तक सीमित नहीं है। टेक सपॉर्ट स्कैम एक वैश्विक समस्या है। टेक सपॉर्ट स्कैम सर्वे 2018 के मुताबिक, दुनिया में हर पांच में से तीन ने पिछले एक साल में इस स्कैम का अनुभव किया है और पांच में से एक व्यक्ति को आर्थिक नुकसान हुआ है। ये साइबर अपराधी पहले आपके कंप्यूटर में वायरस होने का दावा करते हैं और फिर इन्हें दूर करने की बात कहकर गाढ़ी कमाई लूट लेते हैं। इसके अलावा यह पर्सनल और फाइनैंशल डेटा चोरी करते हैं। कई बार वायरस भी डाल देते हैं। ब्रैट ने कहा, ‘DCU में हम लगातार ऐसे धोखेबाजों की मॉनिटरिंग कर रहे हैं। आने वाले दिनों में इनके खिलाफ जंग और तेज होगी।’ ब्रैट ने कहा कि पिछले दो दिनों में दुनिया में 2 अरब कनेक्टेड डिवाइस प्रभावित हुए हैं और भारत वियतनाम के बाद दूसरे स्थान पर है। डेटा माइक्रोसॉफ्ट के रियल टाइम ‘थ्रेट मॉनिटर’ ने तैयार किया है। (DCU) के अधिकारी इन धोखेबाजों पर 24 घंटे नजर रख रहे हैं और उन्हें पकड़वाने में मदद कर रहे हैं।

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