यूं तो पूरे देश में कई घूमने वाली जगाह हैं। लेकिन डलहौजी का अलग ही रंग है। चंबा घाटी की यह अमूल्य धरोहर गर्मी में मन को असीम आनंद देने वाली साबित होती है। डलहौजी के स्नो पॉइंट की खुबसूरत वादियों में बर्फ की सफेद चादर लिपटे होने से यह जगह गर्मियों में घूमने के लिए अच्छी है। डलहौजी को हिन्दुस्तान का स्विट्जरलैंड भी कहा जाता है।
प्रेमी जोड़ों के लिए है खास जगह
प्रेमी युगल और नवविवाहित जोड़ों के लिए खास पसंदीदा जगह है। डलहौजी कांगड़ा से 18 किलोमीटर की दूर हैं। जहां पहाड़ों का राजा कहे जाने वाले हिमाचल प्रदेश में कदम-कदम पर प्रकृति ने सुंदरता के एक से बढ़कर एक नमूने बिखरा दिए हैं। जहां जाएं बस मन मचलकर रह जाए। यहां की शीतल, मंद और महकती हवाएं हर किसी के मन को मोह लेती है। जब किसी ऐसी जगह पहुंच जाएं जहां बस पहाड़ हों, पेड़ हों और दूर-दूर तक फैली हरियाली हो तो यह नजारा और भी मन को मोहने वाला होता है। ये सब आपको मिल सकता है डलहौजी में।
सर्दी में लें बर्फ का मजा
चंबा घाटी की इस जगह पर सर्दी के मौसम में बर्फ का मजा लिया जा सकता है। तब यहां का तापमान शून्य से नीचे चला जाता है। जब मैदानी इलाकों में भयंकर गर्मी पड़ रही होती है तब यहां का तापमान भी 35 डिग्री तक बमुश्किल पहुंच पाता है। डलहौजी अपने आपमें ही बेहद खूबसूरत जगह है।
यहां की कुछ प्रसिद्ध जगह
सेंट पैट्रिक चर्च
सेंट पैट्रिक चर्च डलहौजी का सबसे बड़ा चर्च है। यह चर्च मुख्य बस स्टैंड से 2 किमी. दूर डलहौजी कैंट की मिलिटरी हॉस्पिटल रोड पर है। यहां के मुख्य हॉल में 300 लोग एक साथ बैठ सकते हैं। इस चर्च का निर्माण 1909 में किया गया था। इस चर्च के चारों ओर प्रकृति का सौंदर्य बिखरा हुआ है। यह उत्तर भारत के खूबसूरत चर्चों में से एक है। पत्थर से बनी हुई इसकी बिल्डिंग अपने आप में खास है।
बकरोटा हिल्स
बकरोटा हिल्स घूमने आने वालों के लिए बकरोटा मॉल बेहद पसंदीदा जगह है। यहां से पहाड़ी वादियों का खूबसूरत नजारा दिखाई देता है।
कालाटोप
समुद्र तल से 2440 मी. की ऊंचाई पर स्थित यह जंगल बहुत ही घना है। विभिन्न प्रकार के पक्षियों को देखने के लिए यह जगह बिल्कुल सही है। यहां की खूबसूरती भी देखते ही बनती है। जो पर्यटक यहां रात भर रुकना चाहते हैं उनके लिए एक रेस्ट हाउस भी है। यहां ठहरने के लिए डलहौजी में रिजरवेशन कराना होता है। यहां जंगली जानवरों को नजदीक से देखा जा सकता है।
सुभाष बावली
जीपीओ से लगभग डेढ़ किलोमीटर की दूरी पर स्थित है सुभाष बावली। यहां से बर्फ से ढंकी चोटियों को आसानी से देखा जा सकता है।
सतधारा
यहां के पानी को पवित्र माना जाता है। हालांकि इस पानी में कई तरह के खनिज पदार्थ होने की वजह से यह दवा का काम करता है।
पंचफुल्ला
स्वतंत्रता सेनानी और शहीद भगत सिंह के चाचा सरदार अजीत सिंह की मृत्यु भारत की आजादी के दिन हुई थी। उनकी समाधि डलहौजी के पंचफुल्ला में बनाई गई है। इस खूबसूरत जगह पर एक प्राकृतिक कुंड और छोटे-छोटे पुल हैं जिनके नाम पर इस जगह का नाम रखा गया है। पंचफुल्ला जाने के रास्ते में सतधारा है। यही से डलहौजी और बहलून को पानी दिया जाता है। इस पानी के बारें में यह भी कहा जाता है कि इसमें कुछ रोगों को दूर करने की क्षमता है। यहां का नजारा देखने लायक होता है। यहां पानी की पांच छोटे-छोटे पुलों के नीचे से बहता है।
कैसे पहुंचें : सड़क मार्ग से आने वाले पर्यटकों को यहां पहुंचना बिलकुल भी मुश्किल नहीं है। दिल्ली-एनसीआर से चंडीगढ़ होते हुए डलहौजी आसानी से पहुंचा जा सकता है। कांगड़ा का रेलवे स्टेशन भी सबसे नजदीक पड़ता है जो यहां से 18 किलोमीटर दूरी पर स्थित है। कांगड़ा में स्थित गग्गल हवाई अड्डा यहां का सबसे नजदीकी हवाई अड्डा है। जो 124 किलोमीटर की दूरी पर पड़ता है।
वायु मार्ग: निकटतम हवाई अड्डा गग्गल है। (124 किमी.)
सड़क मार्ग: दिल्ली से राष्ट्रीय राजमार्ग 1 से जालंधर, वहां से राष्ट्रीय राजमार्ग 1ए से पठानकोट, यहां से डलहौजी सिर्फ 68 किमी. दूर है।