डिप्रेशन के बारे में ये कुछ जरूरी बातें
दिन भर की व्यस्तता के बीच हम खुद के लिए समय नहीं निकाल पाते है. दिन भर हमारे दिमाग में कुछ न कुछ चलता रहता है, जो व्यक्त न कर पाने के कारण किसी मानसिक बीमारी का रूप ले सकती है. इसे डिप्रेशन कहा जाता है. डिप्रेशन या दिमागी तकलीफ को लेकर एक गलत धारणा है कि ये सिर्फ उसे ही होती है, जिसकी जिंदगी में कोई बहुत बड़ा हादसा हुआ या कोई दुखी हो उसे यह मर्ज अपना शिकार बनता है.
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डिप्रेशन होने पर लोगों द्वारा पूछा जाता है कि क्या कमी है तुम्हारी लाइफ में. ये सवाल पूरी तरह से गलत है. डिप्रेशन के दौरान शरीर में ख़ुशी देने वाला हार्मोन्स जैसे कि ऑक्सिटोसीन का बनना कम हो जाता है. एक बात आपको बता दे कि मनोवैज्ञानिक के पास जाने से आप पागल नहीं कहलाएगे. यह डॉक्टर तय करता है कि आपका इलाज सिर्फ थेरेपी या काउंसलिंग से होगा या फिर दवाइयों की जरूरत भी पड़ेगी.
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आपको एक चीज और बता दे. मेन्टल हेल्थकेयर बिल-2016 पास हुआ था जिसके अनुसार मानसिक बीमारियों को भी मेडिकल इंशोरेंस में कवर किया जाएगा. गंभीर मानसिक परेशानी से गुजर रहे व्यक्ति को अपने परिवार से दूर या अलग-थलग नहीं किया जा सकेगा. न ही उसके साथ किसी तरह की जबरदस्ती की जा सकेगी.