डॉक्टरों ने दो घंटे में बंद किया दिल का छेद
सीने पर चीरा लगाने की बजाय ढाई इंच से छेद और हार्ट-लंग मशीन की मदद से ये सर्जरी की गई और दिल के छेद को बंद कर दिया गया। डॉक्टरों का कहना है कि इस सर्जरी की सुविधा के बाद मरीज की हालत में तेजी से सुधार होगा और वो कम समय में ठीक होकर घर जा सकता है।
लोहिया संस्थान के सीवीटीएस विभाग के डॉ. डीके श्रीवास्तव ने बताया कि जब मरीज पहुंचे तो दोनों की एक जैसी समस्या थी। फैजाबाद की आस्था (7) और उन्नाव के दिनेश साहू (30) के दिल में छेद था।
मरीजों को परेशानी कम हो इसके लिए मिनीमली इनवेसिव कार्डियक सर्जरी प्लान की गई।
डॉ. डीके श्रीवास्तव के मुताबिक आस्था के दिल में छेद होने की वजह से अशुद्ध रक्त, शुद्ध रक्त में मिल रहा था जिससे उसको थकान के साथ कमजोरी रहती थी।
वहीं दिनेश को दिल में छेद के साथ वॉल्व खराब था। इसे मेडिकल की भाषा में रूमेटिक हार्ट डिजीज कहा जाता है। शनिवार को दिनेश की सर्जरी दो घंटे तक चली। इसमें दाहिने तरफ की पसली के नीचे ढाई इंच के दो छेद किए गए। दिल का छेद बंद करने के साथ वॉल्व बदल दिया गया।
डॉ. डीके श्रीवास्तव बताते हैं कि संस्थान में मिनीमली इनवेसिक कार्डियक सर्जरी पर मरीज को करीब एक लाख 20 हजार रुपये ही खर्च करने पड़े। निजी संस्थान में इस ऑपरेशन के लिए ढाई से तीन लाख रुपये तक खर्च करने पड़ते हैं।
मिनीमली इनवेसिक कार्डियक सर्जरी करने वाले डॉक्टरों में डॉ. डीके श्रीवास्तव के साथ डॉ. अमित चौधरी, डॉ. लता खटनानी, डॉ. संदीप गौतम समेत पैरामेडिकल स्टाफ धर्मेंद्र सोनी और शैलेंद्र सिंह शामिल रहे।