‘तलाक-तलाक-तलाक’ पर जारी है बवाल, महिला संगठनों के खिलाफ महिलाएं ही उतर आई हैं ‘जंग-ए-मैदान’ में
एजेंसी/ ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने मुस्लिम पर्सनल लॉ के खिलाफ और इस्लामी शरियत आदेशों के विरोध को रोकने के लिए अपनी महिला सदस्यों को आगे किया है। बोर्ड ने कहा है कि तीन तलाक कहने पर रोक लगाने की बढ़ती मांग को खारिज करने के लिए वे आगे आएं।
गौरतलब है कि भारतीय मुस्लिम महिला आंदोलन ने तीन बार तलाक कहने के खिलाफ अभियान शुरू किया है। इसके तहत एक याचिका तैयार की गई है जिस पर गुजरात, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश समेत 13 राज्यों के 50 हजार मुस्लिम महिलाओं और पुरुषों ने हस्ताक्षर किए हैं। ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने इसके विरोध का ऐलान किया है।
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की महिला सदस्यों ने इस अभियान की निन्दा करते हुए कहा है कि ये भाजपा नेतृत्व वाली सरकार का सिविल कोड लागू करने का षडयंत्र हो सकता है।
महिला सदस्यों ने कहा कि बोर्ड मुस्लिम पर्सनल लॉ में किसी भी हस्तक्षेप को सहन नहीं करेगा। मुस्लिम महिलाएं किसी भी कीमत पर शरियत में बदलाव को तैयार नहीं हैं। जो शरियत का पालन नहीं करना चाहते, वे विशेष विवाह अधिनियम के तहत विवाह करने को स्वतंत्र हैं।
बोर्ड की कार्यकारिणी सदस्य डॉ. असमा जहरा ने तीन बार तलाक कहने के खिलाफ अभियान चलाने वालों की निन्दा करते हुए उन आंकड़ों को गलत बताया है कि जिसमें कहा गया है कि 92 फीसदी मुस्लिम महिलाएं तीन तलाक पर रोक लगाने और मुस्लिम पर्सनल लॉ में संशोधन किए जाने के पक्ष में हैं। उन्होंने कहा कि मुसलमानों में तलाक की दर सबसे कम है।