तस्वीर जो मानव जाति पर सुनामी के आघात की प्रतीक बन गई
विरह, विलाप और विनाश का दर्द बयां करती ये तस्वीर सन् 2004 की है। भू-गर्भीय हलचलों के कारण हिंद महासागर की तलहटी में दो टेक्टॉनिक प्लेटें आपस में टकरा गई थीं। इनमें से एक प्लेट इंडियन और दूसरी बर्मा प्लेट थी।
इनके टकराने से विनाशकारी कंपन हुआ और भूकंप आ गया। समंदर में गहरे हुई इस विनाशकारी हलचल के कारण जबरदस्त लहरें पैदा हुईं और वे तटीय रहवासी इलाकों की ओर जबरदस्त गति से चल पड़ीं।
रविवार, 26 दिसंबर 2004 को हिंद महासागर में आए इस भूकंप की कंपन ऊर्जा हिरोशिमा में अमेरिका द्वारा गिराए गए परमाणु बम की ऊर्जा के 23 हजार गुना थी।
रिक्टर स्केल पर इसे 9.1 तीव्रता वाला मापा गया। समुद्री लहरों ने भारत सहित श्रीलंका, उत्तरी सुमात्रा और इंडोनेशिया में तबाही मचा दी। तमिलनाडु के तटीय इलाकों में सुनामी ने विध्वंस मचा दिया।
अकेले चेन्न्ई में 130 से ज्यादा लोगों की जानें गईं। इस सुनामी ने कई लोगों की खुशियां और परिवार छीन लिए और उनके जीवन में सन्नाटा भर दिया।
इस चित्र में विलाप करती ये महिला अपना बेटा और प्रियजन गंवा चुकी थी। तब ये फोटो दुनियाभर में इस आपदा की भयावहता और मानव जाति पर इसके गहरे आघात का प्रतीक बन गया।
अपनों से बिछुड़ने पर विलाप करती इस महिला की तस्वीर फोटोग्राफर आरको दत्ता ने रॉयटर्स के लिए खींची थी।