ताजमहल की सफेद रंगत को मुल्तानी मिट्टी से वापस लाने की कोशिश
आगरा : दुनिया के सात अजूबों में शामिल ताजमहल आगरा की खूबसूरती को और निखारा देता है। लेकिन ताजमहल पर जमी पीली परत उसकी खूबसूरती को छुपा रही है। 1648 में बना 240 फीट ऊंचा और 17 एकड़ में फैले इस ताजमहल को पहली बार ‘मड-पैक थेरेपी’ के जरिए पॉलिश किया जा रहा है। 2015 में शुरू हुआ यह काम अब लगभग 75% पूरा हो चुका है। और नवंबर 2018 तक पूरा होने की उम्मीद है।
आईआईटी कानपुर और अमेरिकी यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने यह पाया कि इंडस्ट्रियल जोन की फैक्ट्रियों से निकलने वाले धुएं का असर ताजमहल पर इस कदर पड़ा कि धीरे-धीरे अपनी सफेदी खोने लगा था। और इंडस्ट्रियल जोन में होने के कारण यहां हमेशा पॉल्यूशन रहता है। जिससे ताज की मीनारों और गुंबद पर पीले धुएं की परतें जम गई थीं।
जानकारी के लिए बता दें कि जिस थैरेपी से ताजमहल का पीलापन हटाया जा रहा है, उसमें मुल्तानी मिट्टी का इस्तेमाल किया जाता है। मिट्टी की पतली परत इमारत पर लगाकर उसे प्लास्टिक शीट से ढंका जाएगा। ये परत ताजमहल के संगमरमर पर जमा ग्रीस और कार्बन सोख लेगी। जब मिट्टी सूख जायेगी तब ताजमहल को डिस्टिल्ड वॉटर से साफ किया जाएगा। पुरानी इमारतों को साफ करने के लिए यह अब तक का सबसे सुरक्षित तरीका है।