तालाबों की जमीन पर कैसे हुआ निर्माण, दो सप्ताह में जवाब तलब
लखनऊ, (दस्तक ब्यूरो)। उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ ने गोमतीनगर के गांव विजईपुर, कठौता, कंचनपुर मटियारी व उजरियांव के 37 तालाबों पर हो रहे निर्माण कार्य को रोके जाने तथा पूरे मामले की जांच सीबीआई से कराए जाने की मांग वाली जनहित याचिका पर राज्य सरकार, नगर निगम, एलडीए सहित सभी विपक्षीगरों से दो सप्ताह में जवाब तलब किया है। पीठ ने कहा है कि सभी विपक्षीगण जवाबी हलफनामे से स्पष्ट करें कि तालाब की सुरक्षित भूमि पर निर्माण कार्य क्यों हो रहा है। पीठ ने जानना चाहा है कि सुरक्षित भूमि तालाबों पर निर्माण वैâसे हुआ।
यह आदेश न्यायमूर्ति इम्तियाज मुर्तजा व न्यायमूर्ति डीके उपाध्याय की खण्डपीठ ने अशोक शंकरम की ओर से अधिवक्ता अमरेन्द्रनाथ त्रिपाठी द्वारा दायर जनहित याचिका पर दिए हैं। जनहित याचिका प्रस्तुत कर कहा गया कि गोमतीनगर नए हाईकोर्ट भवन के पास चार गांव विजईपुर, कठौता, मटियारी व उजरियांव के राजस्व अभिलेखों में 37 तालाब दर्ज हैं। कहा गया कि वहां पर तालाब की सुरक्षित जमीनों पर बड़े-बड़े नामचीन बिल्डर बहुखण्डी इमारतों को बना रहे हैं।
याचिका में हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल, विराज कांस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड, बाबू बनारसी दास एजूकेशन सोसाइटी, डीएलएफ रिटेल डेबलपर्स व पार्श्वनाथ डेवलपर्स को विपक्षी पक्षकार बनाते हुए आरोप लगाया गया है कि प्राकृतिक जल के स्रेत तालाबों की सुरक्षित भूमि पर गैरकानूनी रूप से निर्माण किया जा रहा है। जनहित याचिका में मांग की गयी है कि सभी तालाबों को उनके मूल स्वरूप में लाया जाए तथा हो रहे निर्माण को रोका जाए। यह भी आरोप लगाया गया कि एलडीए ने जमीन को विकास के नाम पर अधिग्रहीत कर लिया।